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गुरु ग्रह का चमत्कारिक तंजावुर का अलनगुड़ी गुरु मंदिर

गुरु ग्रह का चमत्कारिक तंजावुर का अलनगुड़ी गुरु मंदिर - guru temple alangudi, tamil nadu
गतिमान ग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव...
- के. अय्यानाथन
हमारे देश में भारतीय ज्योतिष पर इतना अधिक विश्वास किया जाता है कि विवाह और व्यापार जैसे महत्वपूर्ण मसले सलाह- मशविरा करने के बजाय कुंडलियों के आधार पर होते हैं। ग्रहों द्वारा सूर्य की परिक्रमा के कारण इन ग्रहों का हमारे जीवन पर प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है। आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हम आपको नक्षत्रों व ग्रहों से जुड़े एक ऐसे दिन के विषय में बताने जा रहे हैं, जिसका प्रभाव पूरे साल मनुष्य के जीवन पर रहता है।
हर साल गुरु भगवान एक राशि से दूसरी राशि में उतरते हैं। इस बार वह वृश्चिक राशि से धनु राशि में गए हैं। गुरु पयारची के मौके पर लाखों श्रद्धालु अलनगुड़ी, थेनथिरुथिट्टई, थिरुचेंदूर जैसे गुरु भगवान के प्रसिद्ध मंदिरों में जाते हैं। सौरमंडल के गुरु ग्रह में होने वाली गतिविधियां काफी महत्वपूर्ण घटना है। गुरु ग्रह वृश्चिक राशि से निकलकर घनु राशि में जब भी प्रवेश करते हैं तब हजारों की तादाद में श्रद्धालु गुरु भगवान की सन्नाधियों पर आते हैं और भगवान की विशेष स्तुति करते हैं।
 
 
वैसे तो तमिलनाडु में भगवान गुरु की सन्नाधि वाले कई स्थान हैं, लेकिन तंजावुर जिले के आलनगुड़ी नामक स्थान का इनमें विशेष स्थान है। भगवान शिव का यह मंदिर गुरु के क्षेत्रम में से एक है। गुरु पयारची के उत्सव पर यह मंदिर हजारों-लाखों श्रद्धालुओं से खचाखच भरा होता है। वैसे अन्य मंदिरों में भी भगवान गुरु की पूजा-अर्चना की विशेष व्यवस्था होती है।
 
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यूं तो हमारी राशि में कई ग्रह स्थित होते हैं, मगर गुरु और शनि के आवागमन को क्यों महत्व दिया जाता है? इस विषय पर के.पी. विद्याधरन (ज्योतिषि) का कहना है कि सभी ग्रहों में गुरु को शुभ ग्रह की संज्ञा दी जाती है। हर साल गुरु भगवान एक राशि से दूसरी राशि में उतरते हैं। इस बार वह वृश्चिक राशि से धनु राशि में गए हैं। गुरु पयारची के मौके पर लाखों श्रद्धालु अलनगुड़ी, थेनथिरुथिट्टई , थिरुचेंदूर जैसे गुरु भगवान के प्रसिद्ध मंदिरों में जाते हैं। यदि उनका अच्छा समय चलता है, तो वे इसे कायम रखने की प्रार्थना करते हैं और अगर उनका बुरा समय चलता है तो उससे जल्द से जल्द छुटकारा पाने की प्रार्थना करते हैं। 
 
वैदिक काल से ज्योतिषशास्त्र हमारी परंपरा का एक अटूट हिस्सा बन चुका है। हमारे पू्र्वजों को सौरमंडल व आकाशगंगा का काफी ज्ञान था। आज के वैज्ञानिक युग में हम उनके ज्ञान को भी आधार मानते हैं। इतना ही नहीं, ग्रहों के नाम से भी उनके लक्षण निर्धारित किए गए हैं। शायद यही वजह है कि ज्योतिषि इन ग्रहों का तारतम्य हमारे वास्तविक जीवन के साथ भी बैठाते हैं। 
 
मगर ऐसा नहीं है कि हर व्यक्ति इस मत से सहमत हो। वर्तमान में कई वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समर्थक इस तथ्य को मात्र एक अंधविश्वास की संज्ञा देते हैं। उनका मानना है कि व्यक्ति के विचार और कर्त्तव्य ही उसके भाग्य का निर्धारण करते हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि जीवन के साथ चलते रहना चाहिए। यदि भाग्य में बाधाएं आती हैं, तो उनका सामना करके आगे बढ़ जाना चाहिए। .
 
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समर्थक चाहे जो भी कहें, मगर हजारों-लाखों लोग इस तथ्य पर अपने अनुभव के कारण ही विश्वास कर रहे हैं। आप इस विषय पर क्या सोचते हैं, हमें जरूर बताएं।
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