मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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सोम प्रदोष विशेष: शिव चालीसा की शुभ पंक्तियों में छुपा है आपके संकट का समाधान

सोम प्रदोष विशेष: शिव चालीसा की शुभ पंक्तियों में छुपा है आपके संकट का समाधान - shiv chalisa paath  and benefits
सोमवार, सोम प्रदोष, शिवरात्रि, सावन मास के अतिरिक्त हर दिन शिव चालीसा का पाठ करने से कई तरह की समस्याओं का निदान होता है.... शिव चालीसा का पाठ करने व सुनने से घर में सौभाग्य,आरोग्य,सुख-शांति, धन,वैभव,प्रेम की वृद्धि और कर्ज से मुक्ति होती है और शिव करते हैं समस्त कामनाओं की पूर्ति... 

शिव चालीसा की शुभ पंक्तियों में छुपा है आपके संकट का समाधान 
 
।।दोहा।। 
 
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
 
सुख शांति के लिए 
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
 
शत्रु नाश के लिए 
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
 
परिवार में प्रेम के लिए 
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
 
संकट नाश के लिए 
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
 
कृपा प्राप्ति के लिए  
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
 
रोग दोष निवारण के लिए 
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
 
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
 
इच्छित वरदान के लिए  
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
 
दुष्ट व्यक्ति और विचारों से बचने के लिए 
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
 
 भारी संकट नाश के लिए 
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
 
धन प्राप्ति के लिए 
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
 
ऋण मुक्ति के लिए 
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
 
संतान प्राप्ति के लिए 
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
 
॥दोहा॥ 
 
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 
* शिव को गाय के कच्चे दूध से स्नान कराने पर विद्या प्राप्त होती है। 
 
* शिव को गन्ने के रस से स्नान कराने पर लक्ष्मी प्राप्त होती है। 
 
* भोलेनाथ को शुद्ध जल से स्नान कराने पर सभी इच्छाएं पूरी होती है। 
 
* भगवान शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, दूध, फूल और फल चढ़ाने सेसुख, शांति और समृद्धि मिलती है।
 
सोम प्रदोष के दिन थाली में कुंकू, हल्दी, गुलाल, अक्षत, जनेऊ के साथ अष्ट गंध या चंदन रखें। शिवलिंग को ॐ नमः शिवाय के उच्चारण के साथ जल चढ़ाकर पंचामृत अभिषेक करें। जल अर्पण कर कुंकू आदि चढ़ाएं और आस्थानुसार भोग (बोर, मिठाई) अर्पण तथा आरती करें। हो सके तो पूजा-अर्चना के साथ भांग या मावे का श्रृंगार भी करें।
 
पूजा में आंकड़े का फूल, धतुरा, पुष्प, इत्यादि भी चढ़ाकर प्रार्थना करें। व्रतधारी श्रद्धालुओं को एक समय फलाहार करना चाहिए।