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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 3 दिसंबर 2024 (12:28 IST)

पंडित धीरेंद्र शास्त्री की 10 खास बातें जो आपको भी नहीं होगी पता

Dhirendra Shashtri
Pandit dhirendra krishna shastri garg biography: आजकल पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपनी रामकथा और दिव्य दरबार को लेकर ही नहीं बल्कि अपने हिंदू राष्ट्र के संकल्प और विवादित बयानों को लेकर भी बहुत चर्चा में हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा के रहने वाले धीरेंद्र शास्त्री उनके दादाजी की तरह ही वहां के बालाजी हनुमान मंदिर के पास 'दिव्य दरबार' लगाते हैं। इस स्थान को बागेश्वर धाम कहते हैं। उनके दिव्य दरबार के चलते ही सबसे पहले उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से वे लोकप्रिय मिली और अब वे देश और विदेश में दूर दूर तक कथा के साथ ही दरबार लगाने जाते हैं। वे चमत्कारिक रूप से लोगों के दु:ख दर्द दूर करने का दावा करते हैं। आओ जानते हैं उनके संबंध में कुछ खास बातें।
 
1. बेहद गरीब थे धीरेंद्र शास्त्री : पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्रीजी का जन्म 4 जुलाई 1996 में छतरपुर जिले के छोटे से गांव ग्राम गढ़ा में हुआ था। वे एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हैं। खुद धीरेंद्र शस्त्री अपने के एक दरबार में कहते हैं कि बचपन में उनके पास कभी-कभार एक वक्त का भोजन भी नहीं मिलता था। हमारे पिताजी गरीब थे। वे दान दक्षिणा लेकर ही हमारा भरण पोषण करते थे।
 
2. वृंदावन जाकर कर्मकांड पढ़ना चाहते थे धीरेंद्र : बागेश्वर बाबा के कथनानुसरा- एक दिन उन्होंने उनके पिता से कहा कि हम भी पढ़ना लिखना चाहते हैं। वृंदावन में जाकर कर्मकांड पढ़ना चाहते हैं। उनके पिताजी के पास उस वक्त 1000 रुपए नहीं थे। उन्होंने गांव में कई लोगों से उधार रुपए मांगे कि मेरे बेटा पढ़ना चाहता है लेकिन किसी ने उधार नहीं दिया। क्योंकि सभी जानते थे कि यह चुका नहीं पाएगा। हम तब वृंदावन नहीं जा पाए। धीरेंद्रजी के पिता का नाम राम करपाल गर्ग और मां का नाम सरोज गर्ग बताया जाता है। उनका एक छोटा भाई और एक बहन है।
 
3. धीरेंद्र शास्त्री कितने पढ़े लिखे हैं: पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बड़ी मुश्‍किल हालातों में 8वीं तक पढ़ाई अपने गांव में की। इसके बाद की पढ़ाई के लिए वे 5 किलोमीटर पैदल चलकर गंज में जाते थे। वहां से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की और फिर बाद में बीए प्राइवेट किया।
Pandit dhirendra krishna shastri garg
4. दादाजी की कृपा : उनके दादाजी एक सिद्ध संत थे जिनका नाम भगवानदास गर्ग था। वह निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए थे। वे भी दरबार लगाते ते। पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अपने दादाजी को ही अपना गुरु मानते थे। उन्होंने ही उन्हें रामायण और भागवत गीता का अध्ययन करना सिखाया था। पंडित धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग अपने दादाजी भगवानदास गर्ग को ही अपना गुरु मानते थे।
 
5. दादाजी की तरह लगाने लगे दरबार : कहते हैं कि जैसे तैसे गुजारा करने वाले धीरेंद्र शास्त्री पर बाद में हनुमानजी और उनके स्वर्गीय दादाजी की ऐसी कृपा हुई की उन्हें दिव्य अनुभूति का एहसास होने लगा और वे भी लोगों के दु:खों को दूर करने के लिए दादाजी की तरह 'दिव्य दरबार' लगाने लगे। इस दरबार में उन्होंने कभी भी किसी से कोई पैसा नहीं मांगा लोग अपनी स्वेच्छा से मंदिर में दान करते थे। जिससे मंदिर की देखरेख का खर्चा निकल जाता था। खुद के खर्चे के लिए वे लोगों के यहां पूजा पाठ और कथा करने जाते थे।
 
6. कैसे हुई हनुमानजी की कृपा : लोगों का कहना है कि दिव्य दरबार लगाने के पहले बाबाजी 9 वर्ष की उम्र से ही वे हनुमानजी बालाजी सरकार की भक्ति, सेवा, साधना और पूजा करने लगे थे। कई बार जंगल में जाकर भी साधना करते थे। कहते हैं कि इसी साधना का उन पर ऐसा असर हुआ की, बालाजी की कृपा से उन्हें सिद्धियां प्राप्त हुई और वे दरबार लगाने लगे।
 
7. मूल बागेश्वर धाम की शक्ति : छतरपुर के पास गढ़ा में बागेश्वर धाम है जहां पर बालाजी हनुमानजी का मंदिर है। हनुमानी के मंदिर के सामने ही महादेवजी का मंदिर है। कहते हैं कि गढा का यह बागेश्‍वर धाम स्थान उत्तराखंड में स्थित बागेश्वर धाम की ही शक्ति है।
 
8. समाधी स्‍थल : गढ़ा स्थित बागेश्वर धाम में ही सिद्ध गुरु और दादाजी महाराज की समाधी है। धीरेंद्र जी कहते हैं कि उन्हें हनुमानजी और सिद्ध महाराज के प्रत्यक्ष दर्शन हुए है।
 
9. बागेश्वर धाम : बागेश्वर धाम के रास्ते में ऊंचे ऊंचे पहाड़ और जंगल है। पहले यहां घना जंगल हुआ करता था जहां पर बाघ हुआ करते थे। यहीं पर शंकजी की एक छोटी सी मड़िया है। शंकर जी का ये चंदेल कालीन प्राचीन मंदिर है। इसे बाघेश्वर मंदिर कहते हैं। यहीं पर बलाजी हनुमाजी का मंदिर भी है। इसलिए इन्हें बागेशवर धाम के बालाजी महाराज कहते हैं।
 
10. अर्जी लगाने से होती है मनोकामना पूर्ण : बागेश्वर धाम में मंगलवार को अर्जी लगती है। अर्जी लगाने के लिए लोग लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी मनोकामना बोलकर उस नारियल को यहां एक स्थान पर बांध देते हैं और मंदिर की राम नाम जाप करते हुए 21 परिक्रमा लगाते हैं। बाबा धीरेंद्र शास्त्री जी कहते हैं कि आप अपने घर में भी एक नारियल लेकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर के ही देव स्थान पर रखकर प्रतिदिन ॐ बागेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। जल्द ही आप पर बालाजी महाराज की कृपा होगी।
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