आज मकर संक्रांति और पोंगल पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व नई फसल तथा ऋतु के आगमन पर 14 जनवरी को मनाए जाने वाले पर्व हैं। शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति (Makar Sankranti) संक्रांति का त्योहार है। सूर्य के उत्तरायन (Uttarayan) होने पर मनाया जाता है। इसकी विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी (14th January) को ही मनाया जाता है, कभी-कभार यह 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है जिसे भारत भर में अलग-अलग नाम और रीति-रिवाजों के साथ भी मनाया जाता है।
ज्योतिष के नजरिये देखें तो जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है तब यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायन की गति प्रारंभ होती है। सूर्य के उत्तरायन प्रवेश को ही स्वागत पर्व के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। वर्षभर में बारह राशियों मेष, वृषभ, मकर, कुंभ, धनु इत्यादि में सूर्य के बारह संक्रमण होते हैं और जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है।
मकर संक्रांति के पर्व को भारतभर के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्र, केरल, कर्नाटक में इसे संक्रांति Sankranti कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व (Pongal) के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन यानी मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन बनाकर स्नान किया जाता है। इसके साथ ही तिल-गुड़ मिलाकर लड्डू और अन्य व्यंजन बनाकर खाएं और खिलाएं जाते हैं। इस दिन पतंग उड़ाते की परंपरा है तथा सभी इस त्योहार का आनंद उठाते हैं। सुहागिन महिलाएं इस अवसर पर सुहाग सामग्री तथा अन्य उपयोगी चीजों का आदान-प्रदान करके पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इस मौके पर गुजरात में पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो पूरे विश्व में मशहूर है। इस दिन उत्तरायण पर्व पर व्रत रखकर तिल व मूंगफली दाने की चिक्की और अन्य व्यंजन बनाकर इस पर्व को उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इस पर्व की प्रमुख पहचान दाल और चावल की खिचड़ी (Khichadi) बन चुकी है। इस दिन विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है।
पोंगल विशेष रूप से किसानों का पर्व है। यह पर्व धान की फसल कटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए मानते हैं। पोंगल दक्षिण भारत में विशेषकर तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश में मनाया जाने वाला यह एक खास हिन्दू पर्व है।
पोंगल पर्व के उत्सव स्वरूप लोग नए कपडे़ पहनते हैं, रिश्तेदारों-पड़ोसियों के यहां मिठाई और पोंगल बना कर भेजते हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पोंगल (Pongal) एक कृषि और खेती से जुड़ा पर्व-उत्सव है। इस पर्व को मनाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि दक्षिण भारत के लोग धान की फसल कांटने के बाद अपनी खुशियों को प्रकट करने के लिए पोंगल का यह त्योहार बड़े ही हर्षोल्लासपूर्वक मनाते हैं।
पोंगल (Hindu Festival) (Pongal) के दिन लोग सूर्यदेव, इंद्रदेव वर्षा, धूप, वर्षा तथा खेत के काम आने वाले मवेशियों की पूजा, आराधना करके आभार व्यक्त करने के लिए ही खास तौर पर पोंगल का त्योहार मनाते हैं। 4 दिनों तक मनाए जाने वाले पोंगल के पर्व को भोगी पोंगल (Bhogi Pongal), सूर्य पोंगल (Surya Pongal), मट्टू पोंगल (Matth Pongal) और कन्या पोंगल (Kanya Pongal) इन अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
इस वर्ष पोंगल 14 से 17 जनवरी तक मनाया जाएगा, लेकिन पोंगल का मुख्य दिन 14 जनवरी को रहेगा। पोंगल का त्योहार तइ नामक तमिल महीने की पहली तारीख यानी कि जनवरी के मध्य में मनाया जाता है। सूर्य और इंद्रदेव को समर्पित यह पर्व ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।
rk.