डेली मेल में प्रकाशित एक खबर में एक प्रमुख पुरुष वैज्ञानिक ने दावा किया है कि जब एक जीवनसाथी चुनने की बात आती है तो पुरुषों के लिए महिलाओं के वक्षों की तुलना में दिमाग या मस्तिष्क अधिक महत्वपूर्ण होता है। लेकिन इस दावे के समर्थन या विरोध में डेली मेल रिपोर्टर ने कुछ बहुत प्रतिभावान महिलाओं से उनका अनुभव पूछा।
विकासवादी जीव वैज्ञानिक प्रोफेसर डैविड बैनब्रिज का तर्क है कि पुरुष बुद्धिमान महिलाओं की ओर अधिक आकर्षित होते हैं क्योंकि एक ऊंची बौद्धिक क्षमता इंगित करती है कि ऐसी महिला एक जिम्मेदार मां होगी। पर क्या महिलाएं भी ऐसा ही सोचती हैं? छह तीक्ष्ण बुद्धि की महिलाओं ने इस पर अपने अपने विचार रखे। एक उपन्यासकार और टीवी प्रोड्यूसर डेजी गुडविन ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से इतिहास में एक डिग्री रखती हैं। वे कहती हैं कि मैं एक 34 डीडी रखती हूं और यूनिवर्सिटी चैलेंज की विजेता टीम की सदस्य रही हूं। इसलिए आप समझ सकते हैं कि इस मामले पर कोई निर्णय देने के लिए मैं सर्वाधिक उपयुक्त हूं।
डेजी कहती हैं कि आमतौर पर उनका मानना है कि एक आदमी जितना अधिक बुद्धिमान होता है, वह मेरे वक्षों को लेकर ज्यादा उत्सुक होता है। मैं क्या सोच रही हूं, इससे उसे कोई मतलब नहीं होता है। वे कहती हैं कि जब वे यूनिवर्सिटी में काउंटर रिफॉर्मेशन पर एक लेख को जोर-जोर से पढ़ रही थीं, तब यूनिवर्सिटी के एक टीचर ने व्हिस्की का आधा भरा ग्लास उनके वक्षों पर यह जांचने के लिए रखा था कि यह बैलेंस में रहता है या नहीं। एक प्रसिद्ध लेखक और पूर्व समाचार पत्र संपादक से उनकी लम्बी चर्चा हुई जिन्होंने उनके नवीनतम उपन्यास पर बात की थी।
लेकिन, वे टकटकी लगाकर मेरे खुले गले को ऐसे देखे जा रहे थे कि मुझे लगा कि कहीं उनकी गर्दन में मोच या मरोड़ न आ जाए। लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि वे क्या कर रहे थे? इसलिए मैं प्रोफेसर बैनब्रिज के निष्कर्ष से सहमत नहीं हूं। जहां तक मेरे पति का सवाल है तो वे मेरे दिमाग और सुंदरता से आकर्षित हैं। लेकिन वे समझदार और कम समझदार महिला में फर्क करते हैं। लेकिन पुरुष हमेशा यह सिद्ध करने में लगा रहता है कि वह महिला से ज्यादा बुद्धिमान है। उदाहरण के लिए मैं सामान्य ज्ञान में बेहतर हूं लेकिन वह कहते हैं कि यदि तुम वास्तव में होशियार होती तो ड्राइविंग टेस्ट में 13 बार फेल नहीं होती।
क्यों नहीं चाहते पुरुष कमअक्ल औरतें... पढ़ें अगले पेज पर...
सेंट एन, ऑक्सफोर्ड से अंग्रेजी में प्रथम श्रेणी की डिग्री रखने वाली लिब्बी परव्ज कहती हैं कि लोग नहीं चाहते कि औरतें कमअक्ल हों। वे बहुत ज्यादा बौद्धिक भले ही ना हों लेकिन उनमें तर्क को समझने की क्षमता हो। इस दुनिया में कोई भी ऐसे मूर्ख के साथ बंधना नहीं चाहेगा भले ही वह कितना ही सुंदर क्यों ना हो।
उनका कहना है कि मैंने एक सुंदर और पूरी तरह से मूर्ख लड़की के बॉयफ्रेंड को पसंद किया। मैं सोचती हूं कि उसने मुझे इसलिए पसंद किया क्योंकि मैंने डॉ. जॉनसन पर एक भाषण और डिक्शनरीज के उपयोग पर बात की थी। बाद में, वह एक सुंदर फिजिसिस्ट के साथ चला गया जो कि अच्छे कपड़े पहनती थी। इसलिए मैं इस रिपोर्ट से अचंभित नहीं हूं।
सुंदरता अच्छी है, लेकिन आप हमेशा ही तो बिस्तर में नहीं रह सकते हैं। जबकि कोर्टशिप का अर्थ साथ और सेक्स दोनों से होता है। एक समय तक झेलने के बाद कोई भी कमअक्ल साथी के साथ नहीं रहना चाहेगा। पुरुष मूर्ख नहीं होते हैं जो कि ऐसे व्यक्ति के साथ रहे, जिसे अपनी आजीविका कमाने का कोई टेस्ट ही ना हो।
मस्तिष्क का आकार या फिर स्तनों का आकार... पढ़ें अगले पेज पर...
इस मामले में सांद्रा पार्सन्स का कहना है कि वे प्रोफेसर बैनब्रिज के निष्कर्ष से सहमत हैं कि हमारा मस्तिष्क का आकार ही निर्णायक होता है और वक्षों का आकार नहीं। हालांकि हो सकता है कि वक्षों का आकार पुरुषों को अहम लगता हो। पर मेरा अनुभव अलग है। मैं ऐसी कई महिलाओं को जानती हूं जो कि ऊंचे पदों पर होने के बाद भी अकेली हैं। वे आकर्षक हैं, सम्पन्न और बहुत चतुर हैं लेकिन उनका कहना है कि पुरुष उन्हें डरावना पाते हैं।
जीवनीकार और साहित्यिक समीक्षक, फ्रांसेज विल्सन ऑक्सफोर्ड के सेंट ह्यू कॉलेज से डिग्री और ससेक्स यूनिवर्सिटी से पीएच-डी. रखती हैं। अन्य बहुत सी महिलाओं की तरह (जिनमें मर्लिन मुनरो भी शामिल है) मैं बुद्धिमत्ता की ओर शारीरिक तौर पर आकर्षित होती हूं। मेरा पहला प्यार मोनोकल लगाने वाले पैट्रिक मूर थे। वे उस समय 'द स्काई एट नाइट' प्रस्तुत करते थे। स्कूल के दौरान मैं फिजिक्स पढ़ने वालों की ओर आकर्षित थी। यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के दौरान मैं उन लोगों की ओर आकर्षित हुई जो कि लाइब्रेरी में ज्यादातर समय गुजारते थे।
मेरी इस बात में कोई रुचि नहीं थी कि वह कैसा दिखता है, उसके बाल कैसे हैं, उसके सिक्स पैक हैं या नहीं, बस मुझे वह बौद्धिक रूप से आकर्षक लगे। वास्तव में, मेरा मानना था कि आदमी जितना झक्की या विचित्र हो, उसकी दिमागी ताकत उतनी ही ज्यादा वास्तविक थी। मेरा दिल अभी भी पिघल जाता है जब मेरे पहले पति कम्प्यूटर साइंस की बात करते हैं।
जब मेरा वर्तमान साथी कैरोलाइन कवियों को कोट करता है तो मैं खुशी से बिछ जाती हूं। लेकिन अभी भी मुझे ऐसे सच्चे पुरुष की तलाश है जो कि भोजन के दौरान जर्मन मेटाफिजिक्स का विश्लेषण करे। लेकिन सच तो यह है कि आईए रिचर्ड्स की समालोचना को लेकर कभी किसी पुरुष ने इतनी दिलचस्पी नहीं दिखलाई जितनी कि जब मैंने अच्छी फिटिंग वाला लिकरा पहना।
महिला के लिए केवल बुद्धिमान होना ही काफी नहीं, क्यों... पढ़ें अगले पेज पर...
पत्रिका की संपादक और लेखक लिंडसे निकलसन ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से एस्ट्रोफिजिक्स में डिग्री ली है। उनका कहना है कि सेक्स वास्तव में कोई रॉकेट साइंस नहीं है। वास्तव में जहां आकर्षण और प्यार की बात है तो मेरे दिमाग को लेकर कभी कोई मुद्दा नहीं उठा। इसलिए मैं प्रोफेसर बैनब्रिज की रिचर्स से अचंभित हूं और इसलिए नहीं क्योंकि मैं एक साइंटिस्ट हूं। वास्तव में मैं मानती हूं कि यौन आकर्षण का आधार ऐसा होता है जिसे किसी सार्थक अर्थ में नहीं नापा जा सकता है। उनका यह कहना है कि पुरुष उस महिला की ओर आकर्षित होते हैं जो कि बच्चों का पालन पोषण करने में कुशल होती है। एक 22 साल की बेटी की मां होने के नाते मेरा मानना है कि आपके अधिक सुंदर होने भर से यह नहीं होता कि आप प्यार में सफल रहेंगी। प्रिसेंज डायना का मामला एक उदाहरण है। साथ ही, नहीं मानती कि केवल बुद्धिमान होने से भी आपको मदद मिलेगी।
लेखिका मेलिसा काइट यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के रॉयल हॉलोवी से स्नातक हैं। जब मैं किसी आदमी से बात करती हूं तो एक लाइन मुझे डरा देती है। जब मैं सुनती हूं कि मुझे बुद्धिमान महिलाएं पसंद हैं। पर क्यों? मेरी नजर में जो लोग कहते हैं कि बुद्धिमान और समाज में सम्मान हासिल करने वाली महिलाएं चाहते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं जिनके साथ संबंध बनाना सबसे कठिन होता है। इस कारण से वे इस विचार को प्यार करते हैं लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं होता है।
मेरा एक पूर्व प्रेमी सिटी ब्रोकर था, शुरुआत के दिनों में 'बहुत बुद्धिमान' होने को सौभाग्यपूर्ण मानता था। बहुत खुश था कि मेरा अपना करियर और पहचान है। लेकिन कुछेक वर्षों बाद ही वह छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाने लगा। थोड़े समय के लिए पुरुषों को यह बात अच्छी लगे लेकिन बाद में एक महिला से चुनौती पाना उसे असहनीय लगने लगता है। मेरा मानना है कि जब लोग एक औरत से मिलते हैं तो तुरंत आकलन करने लगते हैं कि क्या वह उस प्रकार की है जिसके साथ वह सोना चाहता है। अगर वह ऐसी है तो दिमाग और वक्ष का समीकरण बाहर निकल जाता है जबकि महिला उसके आधिपत्य को चुनौती देने लगती है।
यह लड़कियों के लिए कठोर सत्य है पर यह उन्हें समझना बेहतर होगा कि पुरुष जब कहते हैं कि वे सुंदर महिलाओं को पसंद करते हैं जोकि उन्हें चुनौती नहीं देतीं। अपनी इस उम्र में अगर मैं पुरुषों को डेट करने लगूं तो मैं अपने से बहुत बुद्धिमान और सफल आदमी को पाना चाहूंगी।