Last Updated : मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017 (17:25 IST)
सेक्स में असंतुष्ट महिलाएं लेती हैं तलाक
भारत में इन दिनों तेजी से सामाजिक ढांचा बदल रहा है। यौन मामलों पर इन दिनों खुलकर चर्चा भी हो रही है। बदलते समाज में खुलेपन और सेक्स को लेकर उत्सुकता और डर जैसे मिश्रित सेंटीमेंट दिखाई दे रहे हैं। भारत में महिलाओं द्वारा अपने पतियों को तलाक दिए जाने के बढ़ते मामलें को लेकर पिछले दिनों एक अध्ययन हुआ जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं।
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भारत में तलाक की सबसे बड़ी वजह नपुंसकता है। एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। स्टडी में कहा गया है कि भारत में 20 से 30 फीसदी तक तलाक संतोषजनक सेक्स लाइफ की चाहत में होते हैं। ज्यादातर महिलाएं सेक्सुअली संतुष्ट न होने की वजह से तलाक ले लेती हैं। जाने-माने डॉक्टर्स और समाजशास्त्रियों ने महिलाओं की असंतुष्टि के लिए इसे ठहराया जिम्मेदार, पढ़े अगला पन्ना...
भारत में 'अल्फा वन एंड्रोलॉजी ग्रुप' तथा पुरुषों की सेक्स समस्याओं का समाधान करने वाले डॉक्टरों ने सम्मिलित रूप से यह अध्ययन किया है। इसके अंतर्गत स्तंभन दोष या नपुंसकता से पीड़ित लगभग 2,500 भारतीय पुरुषों पर अध्ययन किया गया।
अध्ययन में 40 की उम्र के बाद 50 फीसदी पुरुषों में स्तंभन दोष की शिकायत पाई गई, तथा 40 की उम्र से पहले इससे 10 फीसदी पुरुष प्रभावित पाए गए।
स्तंभन दोष से पीड़ित 2,500 पुरुषों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि शारीरिक स्वास्थ्य के कारण प्रत्येक पांच में से एक पुरुष का तलाक हो गया तथा प्रत्येक 10 में से एक पुरुष का वैवाहिक जीवन टूटने के कगार पर पहुंच गया। अध्ययन के अनुसार अन्य रोगों की अपेक्षा नपुंसकता के बारे में लोगों की समझ बहुत खराब है तथा इसे गलत तरीके से हैंडल किया जाता है, परिणामत: वैवाहिक संबंध टूट जाते हैं। इन बीमारियों से आती है नपुंसकता, जरूर पढ़े अगला पन्ना...
अध्ययन के अनुसार विवाहित जोड़े वर्ष में औसतन 58 बार या सप्ताह में एक या थोड़ा अधिक बार सेक्स संबंध बनाते हैं। मधुमेह के कारण स्तंभन दोष होने का खतरा सर्वाधिक होता है और इसके बाद सबसे बड़ा कारण है उच्च रक्तचाप।
आज की जीवनशैली से जुड़ी कुछ बातें जैसे धूम्रपान, मदिरापान, मोटापा तथा शारीरिक श्रम की कमी आदि स्तंभन दोष के अन्य कारण हैं।
स्वस्थ वैवाहिक जीवन के लिए समय, प्रयास एवं दोनों व्यक्तियों द्वारा सामंजस्य की जरूरत होती है। भारतीय पुरुषों में आज भी स्तंभन दोष के लिए चिकित्सकीय सलाह लेने के प्रति काफी झिझक है। उन्हें इस बात का एहसास तब होता है जब उनका वैवाहिक संबंध टूटने के कगार पर आ जाता है या टूट जाता है।