Last Modified: देहरादून ,
बुधवार, 18 जून 2014 (20:27 IST)
केदारघाटी से अब तक 44 नरकंकाल बरामद
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देहरादून। उत्तराखंड में भीषण प्राकृतिक आपदा के एक साल बीत जाने के बावजूद केदारनाथ तथा उसके आसपास के जंगलों से मानव कंकाल निकलने का सिलसिला अब भी जारी है तथा इस वर्ष दोबारा शुरू हुए खोज अभियान में 44 नरकंकाल मिल चुके हैं।
कंकालों की तलाशी के लिए हाल में खासतौर से गठित किए गए विशेष कार्यबल के मुखिया पुलिस उपमहानिरीक्षक जीएस मर्तोलिया ने बताया कि इस साल मार्च में दोबारा शुरू हुए खोजबीन अभियान में केदारघाटी के विभिन्न हिस्सों से अब तक 44 मानव कंकाल बरामद हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि सभी बरामद कंकालों का दाह संस्कार भी कर दिया गया है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि हालांकि सघन तलाशी के बाद भी पिछले 24 घंटों में कोई और मानव कंकाल नहीं मिला है।
उन्होंने कहा, ‘केदारनाथ मार्ग पर गौरीकुंड से करीब 10,500 फीट उपर गोमकारा और त्रिजुगीनारायणन के पास तोशी मार्ग के साथ-साथ में हमने कल देर शाम तक खोजबीन की लेकिन और कंकाल नहीं मिले।’ मर्तोलिया ने कहा कि आज भी अभियान जारी है, लेकिन अभी तक कोई कंकाल या शव नहीं मिला है।
मर्तोलिया ने बताया कि जब तक इस क्षेत्र से सभी कंकालों को निकाल नहीं लिया जाता, तब तक 22-सदस्यीय विशेष कार्यबल अपना तलाशी अभियान जारी रखेगा। पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभियान में उन्हें क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति से वाकिफ वन कर्मचारी भी सहयोग कर रहे हैं।
गत वर्ष 16-17 जून को आयी प्राकृतिक आपदा को एक साल गुजर जाने के बावजूद केदारघाटी में नरकंकाल मिलने से उत्तराखंड में राजनीतिक पारा उपर चढ़ गया। मुख्य विपक्षी भाजपा ने पूरे प्रकरण को असंवेदनशील तरीके से निपटने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत से इस्तीफा मांगा है।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने एक बयान में कहा, ‘हम लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि केदारनाथ के आसपास के क्षेत्रों में अब भी शव पड़े हुए हैं। जंगलचट्टी के जंगलों में नरकंकाल मिलने से हमारी बात सही साबित हुई है।’
उन्होंने कहा कि अब सबको पता चल गया है कि केदारघाटी क्षेत्र में शव पड़े होने की बात को लेकर किसने देश को गुमराह किया और त्रासदी में मारे गए लोगों के परिजनों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। भट्ट ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को दूसरों पर दोषारोपण करना अब बंद कर देना चाहिए और अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।’ (भाषा)