जल्दी आई सर्दी, बर्फबारी ने बिगाड़ा गणित, क्यों परेशान हैं कश्मीरी?
जम्मू। आपको जानकार हैरानी होगी कि स्मार्ट मीटर लगाने के बावजूद जम्मू-कश्मीर के नागरिक 8 से 12 घंटे की बिजली कटौती को सहन करने को मजबूर हैं। सबसे बुरी हालत इतनी सर्दी में भी स्कूल जाने वाले छात्रों की है, जिनके लिए स्कूलों में हीटिंग की कोई व्यवस्था नहीं है।
सच यह है कि सर्दी की शुरूआत के साथ ही कश्मीरियों ने बिजली की तलाश आरंभ कर दी है क्योंकि भयानक सर्दी के आगमन के साथ ही बिजली लापता होनी शुरू हो गई है। बिजली विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वह अपने उन वादों से भी मुकर गई है जो पहले इलेक्ट्रानिक मीटर और अब स्मार्ट मीटर लगाने के साथ ही किए गए थे।
बिजली संकट के कारण कश्मीरी जबरदस्त संकट के दौर से गुजर रहे हैं। वर्ष 2003 में पारंपारिक मीटरों को बदलकर इलेक्ट्रानिक मीटर लगाते समय 24 घंटे बिजली आपूर्ति का वादा किया गया था। अब उनका स्थान स्मार्ट मीटरों ने ले लिया है। पर वादा आज तक पूरा नहीं हो पाया है। हालात यह हैं कि 24 घंटे में 8 से 12 घंटे के कट से हर कोई बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। यह बात थी उन इलाकों की है, जहां मीटर लगाए गए हैं और जहां मीटर नहीं हैं वहां बिजली आपूर्ति खुदा के आसरे है।
हालांकि जम्मू में अभी रात का तापमान 6 से 9 डिग्री के बीच होने से लोगों को बिजली कटौती इतनी नहीं सता रही है पर कश्मीरियों की यहां जान निकाल रही है क्योंकि रात में तापमान शून्य से 3 से 8 डिग्री नीचे जा रहा है। दिन का भी यही हाल है। श्रीनगर का दिन का तापमान 7 से 11 डिग्री के बीच होने के कारण लोग सर्दी से कांपने को मजबूर हैं।
दरअसल कश्मीर में इस बार सर्दी भी जल्दी आ गई और बर्फबारी भी और साथ ही बिजली कटौती भी साथ ही आ गई। यही कारण है कि एक कश्मीरी शेख उमर सवाल है कि अगर नवंबर में ये हाल हैं तो अगले महीनों में बिजली का क्या होगा, जब कश्मीर में भयानक सर्दी के मौसम चिल्लेकलां की शुरूआत होगी।
यही कारण था की छात्रों के अभिभावक शिक्षा विभाग से बार-बार विनती कर रहे हैं कि भयानक सर्दी की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वे स्कूलों में निर्धारित शेड्यूल से पहले ही अवकाश घोषित कर दें और इसी प्रकार का आग्रह उपभोक्ताओं द्वारा बिजली विभाग से किया जा रहा है कि कम से कम वे रात के समय बिजली कटौती न करें।