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Last Updated : शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014 (13:52 IST)

विस्थापितों की मुख्यमंत्री शिवराज को चेतावनी

नर्मदा बचाओ आंदोलन
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गुरुवार को नर्मदा घाटी के बड़वानी, खरगोन, धार जिले के गाँव-गाँव के किसान मजदूर, मछुआरे, कुम्हार सरदार सरोवर बाँध को आगे बढ़ाने का विरोध करने के उद्देश्य से भोपाल पहुंचे। इनका मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से सवाल है कि क्या आप हमारी बात सुनेंगे? क्या आप कानून के दायरे में हमारे अधिकारों और मध्यप्रदेश के हित में फैसले लेंगे?
गुरुवार को नर्मदा घाटी के गाँव-गाँव से सैकड़ों प्रभावित भोपाल में मुख्यमंत्री से सवाल एवं चर्चा करने गांधी मैदान के सामने इकट्‍ठे हुए। मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ रहे प्रभावितों को पुलिस ने रोक लिया, सभी महिला, पुरुष, साथ में युवाओं ने जमकर नारेबाजी की।
 
सरदार सरोवर विस्थापितों के साथ इंदिरा सागर व ओंकारेश्व नहरों और जोबट बाँध प्रभावित भी पहुंचे। साथ ही मध्यप्रदेश के जबलपुर, छिंदवाड़ा, सीधी, रीवा, देवास जैसे जिले जिले से पेंच परियोजना, अडानी पॉवर प्लांट, बर्गी बांध आदि परियोजनाओं के वर्षों से विस्थापित हो चुके, किसान, आदिवासी इनमें शामिल थे। 
 
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा की अंगरेज शासन के 1894 का कानून के खिलाफ नर्मदा से नंदीग्राम, पेंच से पोलावरम तथा खदानें, ऊर्जा योजना, शहर विकास को देसी-विदेशी पूंजी और बाजारी विकास को चुनौती देते आए जन संघर्षों का ही परिणाम है।