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Ramadan 2022 16th day : अल्लाह पर ईमान और मगफिरत का रोशनदान है 16वां रोजा

Ramadan 2022 16th day : अल्लाह पर ईमान और मगफिरत का रोशनदान है 16वां रोजा - 16th Roza of Ramadan
इबादत इमारत की तरह है, ईमान बुनियाद की मानिन्द है। इस्लाम मजहब अल्लाह (ईश्वर) पर ईमान लाना और अल्लाह के पैगंबर के अहकामे शरीअत को दिल से तस्लीम (स्वीकार) करना दरअसल मगफिरत (मोक्ष) का सिलसिला मानता है। रोजा भी इसी की एक कड़ी है। चूंकि रमजानुल-मुबारक के बयान की यह तहरीर सोलहवें रोजे तक अल्लाह की मेहरबानी से पहुंच गई है। लिहाजा रोजे की फजीलत के मद्देनजर यह नुमायां (जाहिर) हो जाता है कि रोजा अल्लाह पर ईमान है और मगफिरत का रोशनदान है।
 
अल्लाह पर ईमान रखना दरअसल अल्लाह को याद करना और अल्लाह का जिक्र करना है। मगफिरत नेक और रोजादार बंदे पर अल्लाह की नवाजिश (कृपा) होगी। इसको यों समझ सकते हैं कि जब हमें किसी चीज की जरूरत होती है तो हम उसे खोजते हैं या तलाश करते हैं, जहां वो चीज रखी है वहां ढूंढते हैं या फिर उसको पुकारते हैं जिसके पास वो चीज रखी हुई है। मगफिरत ऐसी ही चीज है जो अल्लाह के पास है। 
 
ईमान (अल्लाह पर) लाकर हमें अल्लाह को पुकारना (याद करना) होगा। रोजा ईमान की मजबूती है। सही तरीके से रखा गया रोजा, रोजेदार के लिए अल्लाह की तरफ से मगफिरत की मंजूरी भी है।
 
कुरआने-पाक के अट्ठाइसवें पारे की सूरह तगावुन की पंद्रहवीं आयत में जिक्र है-'तुम्हारे अमवाल (क्रियाएँ) और औलाद बस तुम्हारे लिए एक आजमाइश की चीज हैं और जो शख़्स इनमें पड़कर अल्लाह को याद रखेगा तो अल्लाह के पास उसके लिए बड़ा अज्ऱ (पुण्य) है।' यह अज्र दरअसल मगफिरत का इशारा है और रोजा इसका जुज (घटक) है।
 
प्रस्तुति : अजहर हाशमी
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