रक्षाबंधन पर्व 2025 पर 2 कविताएं : सावन की फुहारों में, राखी का है ये दिन
कविता 1 : भाई बिना बहना
सावन की फुहारों में,
राखी का है ये दिन।
भाई बिना बहना, और
बहना बिना भाई है अधूरा।
आज के दिन बहना,
आती है करने श्रृंगार।
भाई की कलाई पर,
प्यार से बांधे ये हार।
ये धागा नहीं है कोई,
ये तो है प्यार का बंधन।
जन्म-जन्म का है ये रिश्ता,
और हर पल का है ये नमन।
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कविता 2 : रंग-बिरंगी राखी से
चंदा मामा को देख,
मन में मेरे आया ये ख्याल।
जैसे चंदा की चांदनी,
वैसे ही मेरा भाई है कमाल।
रंग-बिरंगी राखी से,
सजाऊं तेरी कलाई।
मांगू भगवान से,
तेरी लंबी हो कमाई।
हर पल तू हंसे,
खुशियाँ हों तेरे जीवन में।
यही दुआ करती हूं,
हर पल,
हर दिन,
हर जनम में।