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बुधवार, 13 नवंबर 2013 (15:51 IST)
नाथद्वारा में सीपी जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर
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राजसमंद। राजस्थान में मेवाड़ की राजनीति का प्रमुख केंद्र माने जाने वाले नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र पर सभी की निगाहें हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सीपी जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर है।
वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में 1 वोट से हार-जीत के फैसले वाली इस सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक वोट से जीत हासिल करने वाले विधायक कल्याण सिंह चौहान को एक बार फिर से प्रत्याशी घोषित कर दिया है, वहीं कांग्रेस ने डॉ. जोशी के खास सिपहसालार राजसमंद जिला कांग्रेस अध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर को मैदान में उतारा है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि डॉ. जोशी अगर यहां से फिर से मैदान में उतरते तो मुकाबला और रोचक होता, हालांकि उनके प्रदेश चुनाव संचालन समिति का प्रमुख बनने के बाद इस सीट को कांग्रेस के खाते में डालने की उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
इस सीट से पिछले चुनाव में 1 वोट के फैसले से राजनीति के सभी समीकरण गड़बड़ा गए थे। गत विधानसभा चुनाव में डॉ. जोशी को सिंह ने मात्र 1 वोट से हराया था। 1 वोट का मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचा जिसमें सिंह को विजयी माना गया था।
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री की दौड़ में रहे डॉ. जोशी को 1 वोट से हार के कारण दौड़ से बाहर होना पड़ा, हालांकि बाद में डॉ. जोशी लोकसभा चुनाव में भीलवाड़ा से सांसद चुनकर केंद्र में कैबिनेट मंत्री बन गए थे।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, सड़क एवं परिवहन विभाग एवं रेलमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के दौरान डॉ. जोशी ने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को स्वीकृति दिलाई।
नाथद्वारा से 4 बार विधायक रहे डॉ. जोशी की इस परंपरागत सीट पर इस बार भी जिला एवं ब्लॉक कांग्रेस पार्टी ने प्रारंभ से ही यहां पर टिकट के लिए सर्वसम्मति से डॉ. जोशी पर छोड़ दिया था।
डॉ. जोशी ने यहां से अपने भरोसेमंद राजसमंद जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं प्रमुख गुर्जर नेता देवकीनंदन गुर्जर को मैदान में उतारा है। गुर्जर के नामांकन पत्र दाखिल करते समय डॉ. जोशी एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भी नाथद्वारा पहुंचे और समर्थकों की हौसला अफजाई की।
दूसरी तरफ 57 वर्षीय सिंह 8वीं तक पढ़े हुए हैं। इनकी राजनीति की शुरुआत 1988 से कोठारिया ग्राम पंचायत के सरपंच से शुरू हुई थी। सिंह वर्ष 1998 से 2000 तक खमनोर पंचायत समिति के प्रधान तथा वर्ष 2000 से 2005 तक राजसमंद जिला परिषद के उपजिला प्रमुख तथा 2005 से 2008 तक जिला परिषद के सदस्य रहे।
सिंह इस दौरान डॉ. जोशी के खास माने जाते थे लेकिन वर्ष 2003 में वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद वे भाजपा के जिला महामंत्री, राजसमंद नगर पालिका चुनाव के प्रभारी भी रहे।
ब्राह्मण, राजपूत और गुर्जर बहुल नाथद्वारा सीट पर गुर्जर की राह आसान नहीं है, हालांकि पराजय के बाद भी डॉ. जोशी ने अपने विधानसभा क्षेत्र का पूरा ध्यान रखा तथा रेलवे लाइन बिछाने सहित कई छोटे-बड़े विकास कार्य करवाए। दूसरी तरफ 1 वोट से जीतने का मामला न्यायालय में चलते रहने से सिंह पिछले 5 वर्षों में न्यायालय में ही उलझे रहे।
जानकारों का कहना है कि डॉ. जोशी ने इस क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित करने वाले खरवड़, चदाणा राजपूत जाति को गहलोत सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आरक्षण का लाभ दिलाकर अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की है।
इसके अलावा खमनोर को तहसील बनाने का निर्णय भी गहलोत ने किया है। नाथद्वारा सीट में 2,02,919 मतदाता है जिसमें 1,04,369 पुरुष एवं 98,550 महिला मतदाता शामिल है।
मेवाड़ की इस चर्चित सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां से अब तक 6 बार ब्राह्मण और 5 बार राजपूत समाज के उम्मीदवारों ने विजय हासिल की है। ब्राह्मण प्रत्याशियों में 1957 एवं 1967 में कांग्रेस के किशनलाल शर्मा, 1980, 1985, 1998 और 2003 में कांग्रेस के डॉ. जोशी चुनाव जीते थे।
राजपूत प्रत्याशियों के रूप में 1952 में शिवदानसिंह (निर्दलीय), 1962 में विजयसिंह (जनसंघ), 1990 एवं 1993 में भाजपा के शिवदान सिंह और 2008 में कल्याण सिंह ने जीत हासिल की थी। (वार्ता)