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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 10 जनवरी 2025 (10:35 IST)

महाकुंभ में क्यों शुभ मानी जाती है महिला नागा साधुओं की उपस्थित, जानिए उनकी अनदेखी दुनिया के बारे में सबकुछ

महाकुंभ में क्यों शुभ मानी जाती है महिला नागा साधुओं की उपस्थित,  जानिए उनकी अनदेखी दुनिया के बारे में सबकुछ - mahila naga sadhu
Mahila Naga Sadhu: हिंदू धर्म में साधुओं का एक महत्वपूर्ण स्थान है। अक्सर हम नागा साधुओं को देखते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाएं भी नागा साधु बन सकती हैं? महिला नागा साधुओं का जीवन बेहद कठोर तपस्या और साधना से भरा होता है। इनके जीवन के कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका पालन  इन्हें कठोरता और अनुशासन के साथ करना होता है। आइए वेबदुनिया हिंदी पर आज  जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक तथ्य।

महिला नागा साधु कौन होती हैं?
महिला नागा साधु वे महिलाएं होती हैं जिन्होंने भगवान शिव को अपना आराध्य देव मानते हुए संसार के मोह-माया को त्याग दिया होता है। ये महिलाएं कठोर तपस्या और साधना के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति करती हैं।

महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया और कठिनाई
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी कठिन होती है। इसमें कई चरण शामिल होते हैं:
  • ब्रह्मचर्य का पालन: महिला को कम से कम 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।
  • अखाड़े से जुड़ना: महिला को किसी अखाड़े से जुड़ना होता है। दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा महिला नागा साधुओं के लिए सबसे प्रमुख है।
  • पिंडदान: महिला को अपना पिंडदान करना होता है, जिसका अर्थ है कि वह अपने पिछले जीवन से पूरी तरह विमुख हो जाती है।
  • बाल मुंडन: महिला को अपने बाल मुंडवाने होते हैं।
  • कठोर साधना: महिला को कठोर साधना करनी होती है, जिसमें प्रातःकालीन स्नान, भगवान शिव की पूजा और दत्तात्रेय की पूजा शामिल है। महिला नागा साधुओं को पुरुष नागा साधुओं की तुलना में कहीं अधिक कठिन तपस्या करनी होती है। इसका मुख्य कारण है धार्मिक मान्यताएं, जिनके अनुसार महिलाओं को रजस्वला अवस्था के दौरान कुछ धार्मिक कार्यों से दूर रहना होता है।
  • समय की कमी: महिला नागा साधुओं के पास अपने तप को पूरा करने के लिए सीमित समय होता है, क्योंकि उन्हें रजस्वला होने से पहले ही अपनी साधना पूरी करनी होती है।
महिला नागा साधुओं का जीवन
महिला नागा साधुओं का जीवन बेहद सरल और अनुशासित होता है। वे भौतिक सुखों से दूर रहकर आध्यात्मिक उन्नति पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
  • वस्त्र: महिला नागा साधु गेरुए रंग का एक ही कपड़ा पहनती हैं। वे सिला हुआ कपड़ा नहीं पहनती हैं।
  • आहार: महिला नागा साधु साधारण भोजन करती हैं और अक्सर उपवास रखती हैं।
  • साधना: वे नियमित रूप से ध्यान, योग और तंत्र साधना करती हैं।
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महिला नागा साधुओं का महत्व
महिला नागा साधु हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनका अनुशासित जीवन और आध्यात्मिक ऊंचाई उन्हें इतना विशेष बनती है । मान्यता है कि महिला नागा साधु का दिखाना बहुत शुभ होता है।

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