वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत में मुख्य भूमिका निभाने वाले अमित शाह को गृहमंत्री पद से नवाजा गया है। शाह गुजरात की मोदी सरकार में भी गृहमंत्री रहे थे। मोदी और शाह की जुगलबंदी अब क्या गुल खिलाने वाली है, इस पर अब सबकी नजर रहेगी।
प्रारंभिक जीवन : अमित शाह का जन्म 1964 में मुंबई के एक संपन्न गुजराती परिवार में हुआ। सोलह वर्ष की आयु तक वे अपने पैत्रक गांव मान्सा, गुजरात में ही रहे और वहीं स्कूली शिक्षा प्राप्त की। स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उनका परिवार अहमदाबाद चला गया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि : अमित शाह की पत्नी का नाम सोनल शाह और एकमात्र पुत्र का नाम जय शाह है।
राजनीतिक जीवन : साल 2014 में सोलहवीं लोकसभा चुनाव के समय भाजपा को शानदार जीत दिलाने के बाद अमित शाह का यह विजयी अभियान रुका नहीं और इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमतों से जीत दिलाने का करिश्मा कर दिखाया। अमित शाह ने स्कूली शिक्षा पूर्ण कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल होने के बाद संघ की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) के लिए चार वर्ष तक कार्य किया। उसी अवधि में भाजपा, संघ की राजनीतिक शाखा बनकर उभरी और वे 1984-85 में पार्टी के सदस्य बने। भाजपा सदस्य बनने के बाद उन्हें अहमदाबाद के नारायणपुर वार्ड में पोल एजेंट का पहला दायित्व सौंपा गया, तत्पश्चात् वे उसी वार्ड के सचिव बनाए गए।
1989 में लोकसभा चुनाव हुए जिनमें अमित शाह को गांधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के जननेता लालकृष्ण आडवाणी के चुनाव प्रबंधन का उत्तरदायित्व सौंपा गया। अमित शाह, आडवाणीजी के लिए 2009 के लोकसभा चुनावों तक चुनावी रणनीति तैयार करते रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो अमित उनके भी चुनावी प्रभारी बने।
1990 के दौरान गुजरात की राजनीतिक उथल-पुथल ने स्थापित जनों के भाग्यों को पलट डाला और भाजपा राज्य में कांग्रेस के सामने मुख्य एवं एकमात्र विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। उस दौरान उन्होंने नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में (तत्कालीन गुजरात भाजपा संगठन सचिव) समग्र गुजरात में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों के दस्तावेजीकरण के अति महत्व के कठिन कार्य को प्रारंभ कर उसे सफलतापूर्वक परिणाम तक पहुंचाया।
गुजरात में भाजपा की प्रथम विजय अल्पकालीन सिद्ध हुई, 1995 में सत्ता में आने वाली पार्टी की सरकार 1997 में गिर गई, किन्तु उस अल्पावधि में ही अमित शाह ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के रूप में निगम का कायापलट कर दिया।
भाजपा सरकार गिरने के बाद उपचुनाव में पहली बार अमित शाह का चुनावी रण में पदार्पण हुआ, उन्होंने सरखेज से विधानसभा का चुनाव लड़ा और 25000 मतों के अंतर से सीट जीतने में सफल रहे। 1998 में उन्होंने वही सीट पुनः 1.30 लाख मतों के अंतर से जीती।
उनके व्यापक अनुभव और सराहनीय सफलता को देखते हुए अमित शाह को 2001 में भाजपा के सहकारिता प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय संयोजक बना दिया गया। वर्ष 2002 में विधानसभा चुनावों अमित भाई ने सरखेज से लगातार तीसरी बार चुनाव जीता। वर्ष 2007 में सरखेज विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर अमित शाह को विजयश्री का हार पहनाया।
राजनीति से हटकर दूसरे क्षेत्रों में भी अमित शाह की नीतियों की बहुतों ने प्रशंसा की। अमित शाह शतरंज के अच्छे खिलाड़ी हैं और 2006 में वे गुजरात स्टेट चैस एसोसिएशन के चेयरमैन बने। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अहमदाबाद के सरकारी स्कूलों में शतरंज को शामिल करवाया।
वर्ष 2007 में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह गुजरात स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के क्रमशः चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन बने तथा कांग्रेस के 16 साल के प्रभुत्व को समाप्त किया। इस अवधि में अमित शाह अहमदाबाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट के चेयरमैन भी रहे।
2010 का वर्ष अभूतपूर्व चुनौतियों का वर्ष था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अमित शाह पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया और उन्हें कैद कर लिया गया। बाद में उनके निरपराध होने का सत्यापन गुजरात हाईकोर्ट ने किया कि उनके विरुद्ध प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता। विशेष सीबीआई अदालत ने भी अमित शाह को सभी आरोपों से इस रिमार्क के साथ मुक्त कर दिया कि यह केस राजनीति से प्रेरित था।
अमित शाह की चुनावी विजय अटूट बनी रही। 2012 में उन्होंने नव निर्मित नारायणपुर विधानसभा से अपनी लगातार पांचवीं विजय हासिल की। इस बार वे 60000 से अधिक वोटों से जीते। उन्हें 2013 में भाजपा का महासचिव बनाया। 2014 में होने वाले बेहद महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा गया। भाजपा ने अमित शाह के समर्पण, परिश्रम और संगठनात्मक क्षमताओं को सम्मानित कर उन्हें 2014 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया।