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स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से फहराए जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण भी उसकी गरिमा के अनुरूप ही कड़े मानदंडों के तहत किया जाता है।
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राष्ट्रीय ध्वज को अपने संपूर्ण रूप में आने से पूर्व कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है और उसके बाद ही इसे विभिन्न सरकारी इमारतों पर फहराने की अनुमति प्रदान की जाती है।
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राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन और उसकी निर्माण प्रक्रिया ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्डस (बीआईएस) द्वारा जारी तीन दस्तावेजों के प्रावधानों से नियंत्रित होती है। सभी राष्ट्रीय ध्वज सूती खादी या रेशमी खादी से बनाए जाते हैं।
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राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित मापदंडों की व्यवस्था 1968 में की गई थी और इन्हें वर्ष 2008 में फिर से अद्यतन किया गया।
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कानून के अनुसार, आज नौ प्रकार के राष्ट्रीय ध्वजों के निर्माण की अनुमति प्रदान की गई है तथा सबसे बड़े आकार का यानी 6.3 मीटर गुणा 4.2 मीटर का राष्ट्रीय ध्वज महाराष्ट्र सरकार द्वारा मंत्रालय भवन पर फहराया जाता है।
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बीआईएस राष्ट्रीय ध्वज निर्माण के लिए लाइसेंस प्रदान करता है और उसके लिए मानक तय करता है।