पाँच हजार आदिवासी पुनः हिंदू बनेंगे
नर्मदा पर सामाजिक कुंभ का आयोजन
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मनोज वर्मा हिंदू धर्म को त्याग पूर्व में ईसाई बन चुके आदिवासियों को पुनः हिन्दू धर्म में वापस लाने के लिए भगवा परिवार मंडला में नर्मदा के तट पर एक सामाजिक कुंभ का आयोजन कर रहा है। इस कुंभ के दौरान लगभग पाँच हजार आदिवासी परिवारों का पुनः धर्मांतरण कराने की भी योजना है। यह आदिवासी परिवार पूर्व में हिन्दू धर्म को त्याग कर ईसाई बन गए थे।धर्मांतरण के मुद्दे पर संघ परिवार अब तक की अपनी सबसे बड़ी मुहिम शुरू कर रहा है। इस कुंभ में बीस से तीस लाख लोगों के भाग लेने की संभावना है। कुंभ के दौरान ईसाई बने हिन्दुओं को पुनः हिन्दू धर्म में वापस लेने की भी योजना है। इस सामाजिक कुंभ के बहाने संघ परिवार तीन लक्ष्यों को साध रहा है। पहला धर्मांतरण के खिलाफ आदिवासियों को ईसाई संगठनों के खिलाफ लामबंद करना, दूसरा हिन्दुत्व से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता और तीसरा लक्ष्य आदिवासियों के वोट बैंक को एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनाना। इसके अलावा इस कुंभ में तीन और मुद्दों पर संघ परिवार का फोकस रहेगा। यह तीन मुद्दे हैं हिन्दू आतंकवाद, कश्मीर, राम जन्म भूमि। अधिकांश आदिवासी उन क्षेत्रों से इस कुंभ में भाग लेने आ रहे हैं जो इस समय नक्सली मोआवादी हिंसा से सबसे ज्यादा ग्रस्त हैं। मध्यप्रदेश के मंडला क्षेत्र में नौ और दस फरवरी को इस नर्मदा सामाजिक कुंभ के मुख्य कार्यक्रम होंगे। इस दौरान लगभग ग्यारह प्राँतों के लोग इस सामाजिक कुंभ में भगवा परिवार की विचारधारा की गंगा में डुबकी लगाएँगे। भगवा परिवार ने इस कुंभ का आयोजन ऐसे समय पर किया है जब संघ और कई हिन्दू संगठनों और धर्माचार्यो पर हिन्दू आतंकवाद में शामिल होने के आरोप लग रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि स्वामी असीमानंद जिन पर हिन्दू आतंकवाद में शामिल होने का आरोप लग रहा है वह भी दरअसल लक्ष्मणानंद की तरह आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण के विरोध में अभियान चला रहे थे। इस कुंभ में देशभर से साधु-संत भाग लेंगे। तो आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत सहित संघ के लगभग सभी प्रमुख अखिल भारतीय पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया है। कुंभ के आयोजन के लिए मध्यप्रदेश में मंडला के समीप महाराजपुर के पास कुल 35 सौ एकड़ भूमि पर 45 नगर बसाए गए हैं। आयोजन स्थल पर तीन बड़े मंडप का निर्माण किया गया है जो स्वामी लक्ष्मणानंद, रानी लक्ष्मीबाई और रामभक्त हनुमान के नाम पर रखे गए हैं। संपूर्ण कुंभ क्षेत्र को रानी दुर्गावाती का नाम दिया गया है।