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Written By ND

वसंत की बहार बने रंगबिरंगे फूल

Vasant Panchami | वसंत की बहार बने रंगबिरंगे फूल
ND
जनवरी का महीना आधा गुजर गया है...दिन में गुनगुनी वासंती अनुभूति घुल जाना थी...लेकिन अभी तो कड़ाके की ठंड नित नए कीर्तिमान गढ़ रही है...। पारे की गिरावट में वसंत की पदचाप गुम हो रही है, लेकिन रंगबिरंगे फूल वसंत के आने की खबर दे रहे हैं। हर जगह फूल ही फूल खिले हैं। खेतों में सरसों और सड़कों के किनारे पर पीले, गुलाबी, जामुनी जंगली फूल खिलखिलाने लगे हैं।

वसंत अकेले नहीं आता। यह स्मृतियों का हरकारा है। वसंत हमारे भीतर कल्पना का सुमन खिलाने आता है। वसंत सूखी धरती सी धूसर मनोदशा को भी हर्ष और उत्साह की हरियाली ओढ़ा देता है। वसंत नया होने का पर्व है। यह प्रकृति के श्रृंगार और सौंदर्य का त्यौहार ले कर आता है। वसंत आता है तो पीछे-पीछे फागुन चला आता है। पंचमी के बाद जो-जो पुराना है, वो सब झड़ जाता है। पतझड़ का अंत हो जाता है। दिलों में टेसू के अंगारे दहकने लगते हैं, सरसों के फूल झूम-झूम कर गीत गाने लगते हैं। शीत में कुम्हलाए से खड़े पेड़ अब ठूँठ नहीं रह जाएँगे... यहाँ उम्मीद की कोंपले फूटेंगी, जीवन लहलहाएगा।

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वसंत पंचमी वाग्देवी सरस्वती का जन्मदिन भी है। इस दिन आराधक सरस्वती की पूजा करते हैं। प्रेम के पर्व पर ज्ञान की देवी की आराधना केवल संयोग नहीं है। ज्ञान और विवेक के अभाव में उत्साह निरंकुश हो जाता है। यह पर्व जोश में होश का संकेत देता है। सीमेंट काँक्रीट के जंगलों में तब्दील होते शहरों में वसंत का आना कोई सूचना नहीं। काम से लदी जिंदगी दिन-रात टारगेट में उलझी रहती है। उदास चेहरों और बुझे दिलों को न वसंत के आगमन का भान है और न प्रकृति से बतियाने की फुर्सत।

प्रेमियों का वसंत भी एसएमएस की लघु भाषा का संकेत भर बन गया है। न वैसे गीत रचने वाले रहे न उनका रसपान करने वाले। हम भले ही अपनी प्रकृति भूल जाएँ। तरक्की के जूनून में अपना स्वभाव खो दें। मगर प्रकृति ने अपना ढंग नहीं छोड़ा है। आज भी कहीं न कहीं, कोयल वैसे ही कूक रही है और टेसू खिल रहे हैं। हम ही जो इनसे नाता तोड़ बैठे हैं, तनावों को न्योता दे चुके हैं। हमारे आसमान में भी चाँद चमक सकता है, खुशियों का गेंदा खिल सकता है, उल्लास की कोयल कूक सकती है और मिलन के पर्व मन सकते हैं। जरूरत है, वसंत को अपने भीतर उतार लेने की।

यह तभी संभव है जब हम प्राकृतिक संपदा के धनी शहरों में ऋतुओं का बदलाव भी साफ-साफ दिखाई दें। लहलहाते वृक्ष को कभी सूखने नहीं दें। वसंत के आगमन की सूचना शहर का पौर-पौर वसंत के आने का संदेश दे रहा है। किस्म-किस्म के फूल चहक-चहक कर वसंत के आने का संदेश दे रहे हैं।