सोमवार, 14 अक्टूबर 2024
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Written By WD

परशुराम जयंती

परशुराम जयंती -
WD
परशुरामजी का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि अर्थात तृतीया को रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। अतः इस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मनाते हैं। यह प्रदोष व्यापिनी ग्राह्य होती है। यदि दो दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन व्रत करना चाहिए।

परशुराम जयंती व्रत कैसे करे
* व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
* घर की सफाई आदि कर स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त हो जाएँ।
* गोमूत्र, गंगाजल अथवा किसी पवित्र जल का घर में छिड़काव करें।
* घर के ही किसी पवित्र स्थान पर गाय के गोबर से लेपन करें।

तत्पश्चात वहाँ वेदी की स्थापना करें।

* वेदी पर ही नवग्रह बनाकर वहाँ कलश स्थापित करें।
* वेदी पर ही भगवान परशुराम अथवा भगवान विष्णु का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
* अब संपूर्ण विधि-विधान से भगवान परशुरामजी का पूजन करें।
* तत्पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेकर सूर्यास्त तक मौन धारण किए रहें-
मम ब्रह्मत्व प्राप्तिकामनया परशुरामपूजनमहं करिष्ये

सायंकाल पुनः स्नान करके परशुरामजी का पूजन करें तथा निम्नलिखित मंत्र से अर्घ्य देकर रातभर श्रीराम मंत्र का जाप करें-
जमदग्निसुतो वीर क्षत्रियांतकरप्रभो।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं कृपया परमेश्वर॥