Sita navami 2022 : सीताजी को सती अनुसुइया ने दिए थे दिव्य प्रकाश फैलाने वाले आभूषण, कभी मैले नहीं होने वाले वस्त्र और जवान बनाए रखने वाला लेप
janaki jayanti 2022 : वैशाख शुक्ल की नवमी को सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है। माता सीता को जानकी भी कहते हैं। इस बार 10 मई 2022 को जानकी जयंती मनाई जाएगी। आओ जानते हैं माता सीता के दिव्य आभूषण और वस्त्र के बारे में।
प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनके साथ माता सीता भी वनवास में गई थी। वनवास के दौरान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मणजी चित्रकूणट के पास अत्री ऋषि और सती अनुसुइया के आश्रम में रुके थे। वहां पर माता अनुसूइया और सीता का मिलन (Sati Anusuya Sita milan) हुआ। ऐसा कहा जाता है कि माता अनुसूइया ने माता सीता के त्याग से प्रसन्न होकर उन्हें दिव्य आभूषण और वस्त्र दिए थे। इसके बाद सीता जी को पत्नी धर्म का भी उपदेश दिया था।
कहते हैं कि उन्हें जो दिव्य आभूषण और वस्त्र दिए थे, वो न कभी गंदे हुए न ही फटे। जब माता सीता का रावण ने हरण कर लिया था तो वही आभूषण माता सीता यान से नीचे फेंकती रही। इन्हीं आभूषणों को पाकर ही श्रीराम यह जान पाए थे कि सीता को रावण किस दिशा में ले गया था। माता सीने ने ये आभूषण अपने पल्लू में बांध रखे थे। उन्हें एक एक करके नीचे फेका था। यह आभूषण वानर राज सुग्रीव को मिले और उन्होंने आभूषणों को संभालकर रख लिया और फिर जब राम जी से उनका मिलना हुआ तो ये आभूषण श्री राम को दिखाए थे और इसी आधार पर लंका पर चढ़ाई की रणनीति बनाई थी।
1. दिव्य लेप : माता अनुसुइया ने वस्त्र और आभूषण ही नहीं माता सीता को दिव्य औषधियों का एक लेप भी भेंट किया था जिसे लगाकर व्यक्ति सदा जवान बना रह सकता है। उसके चेहरे पर कभी झुर्रियां नहीं पड़ती है और यौवन बरकरार रहता है।
2. दिव्य आभूषण : इन आभूषणों से प्रकाश निकलता था। इनमें कभी जंग, मैल आदि नहीं लगता था।
3. दिव्य वस्त्र : माता अनुसूया से जो वस्त्र दिए थे, वो कभी भी मैले नहीं होते थे अर्थात उन्हें कभी भी धोने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। कहते हैं कि माता सीता ने एक ही वस्त्र 14 वर्षों तक धारण कर रखे थे।