गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. phulera festival
Written By

प्रेम और खुशियां बिखेरने वाले फुलैरा दूज का त्योहार कैसे मनाएं, पढ़ें सरल विधि

प्रेम और खुशियां बिखेरने वाले फुलैरा दूज का त्योहार कैसे मनाएं, पढ़ें सरल विधि - phulera festival
Phulera Dooj puja vidhi


फुलैरा दूज का त्योहार बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन में मनाया जाता हैं।  फुलैरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है। इस दिन का हर क्षण शुभ होता है। इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। 
 
फुलैरा दूज का महत्व
 
- फुलैरा दूज मुख्य रूप से बसंत ऋतु से जुड़ा त्योहार है। 
- वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है। 
- फुलैरा दूज वर्ष का अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। 
- फुलैरा दूज में मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है। 
- जिनकी कुंडली में प्रेम का अभाव हो, उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। 
- वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए भी इस दिन पूजा की जाती है। 
 
अगर आप कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं तो फुलैरा दूज का दिन इसके लिए सबसे उत्तम होगा। इस दिन में साक्षात श्रीकृष्ण का अंश होता है। जो भक्त प्रेम और श्रद्धा से राधा-कृष्ण की उपासना करते हैं, श्रीकृष्ण उनके जीवन में प्रेम और खुशियां बरसाते हैं। 
 
फुलैरा दूज का पर्व मनाने की विधि 
 
- शाम को स्नान करके पूरा श्रृंगार करें। 
- राधा-कृष्ण को सुगन्धित फूलों से सजाएं। 
- राधा-कृष्ण को सुगंध और अबीर-गुलाल भी अर्पित कर सकते हैं। 
- प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें। 
- इसके बाद 'मधुराष्टक' या 'राधा कृपा कटाक्ष' का पाठ करें। 
- अगर पाठ करना कठिन हो तो केवल 'राधेकृष्ण' का जाप कर सकते हैं। 
- श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें और प्रसाद ग्रहण करें। 
 
कृष्ण भक्त इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं। राधे-कृष्ण को गुलाल लगाते हैं। भोग, भजन-कीर्तन करते हैं क्योंकि फुलैरा दूज का दिन कृष्ण से प्रेम को जताने का दिन है। इस दिन भक्त कान्हा पर जितना प्रेम बरसाते हैं, उतना ही प्रेम कान्हा भी अपने भक्तों पर लुटाते हैं। 
 
इस दिन 
- सोने वाले पलंग के चारों पैरों में गुलाबी धागा बांधें। 
- पलंग के नीचे गंदगी इकट्ठा न होने दें। 
- सोने के लिए ढेर सारे तकियों का प्रयोग न करें। 
 
फुलेरा दूज पर राधे-कृष्ण की उपासना आपके जीवन को सुंदर और प्रेमपूर्ण बना सकती है। इसे फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि फाल्गुन महीने में कई तरह के सुंदर और रंगबिरंगे फूलों का आगमन होता है और इन्हीं फूलों से 
राधे-कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है। 
 
फुलैरा दूज के दिन से ही लोग होली के रंगों की शुरुआत कर देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से ही भगवान कृष्ण होली की तैयारी करने लगते थे और होली आने पर पूरे गोकुल को गुलाल से रंग देते थे। 
 
सावधानियां
- शाम का समय ही पूजन के लिए सबसे उत्तम है। 
- रंगीन और साफ कपड़े पहनकर आनंद से पूजा करें। 
- अगर प्रेम के लिए पूजा करनी है तो गुलाबी कपड़े पहनें। 
- अगर वैवाहिक जीवन के लिए पूजा करनी है तो पीले कपड़े पहनें। 
- पूजा के बाद सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।