परशुराम द्वादशी क्यों मनाई जाती है, कैसे करें पूजा
Parshuram Dwadashi: आज 13 मई को परशुराम द्वादशी का व्रत रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष परशुराम द्वादशी व्रत वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को रखा जाता है। संतान की कामना हेतु इस व्रत को रखा जाता है।
पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने परशुरामजी को अधर्म को नष्ट करने के लिए एक दिव्य फरसा, भार्गवस्त्र प्रदान किया था। ऐसा माना जाता हैं कि जब धरती पर हैहयवंशी क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार बढ़ गया था तो धरती माता ने भगवान विष्णु से मदद मांगी थी और उसके फलस्वरूप अक्षय तृतीया के दिन ऋषि जमदग्नी और रेणुका के पुत्र के रूप में धरती पर जन्म लिया था। इसके बाद शिव ने तप के बाद उन्हें यह फरसा प्रदान किया था। फिर उन्होंने 21 बार हैहय क्षत्रिय राजाओं से युद्ध कर उनका संहार किया और उसके बाद वो महेन्द्रगिरि पर्वत पर जाकर तपस्या करने लगे।
परशुराम द्वादशी की पूजा विधि:
1.प्रात: काल उठकर स्नानआदि से निपटकर व्रत का संकल्प लें।
2. परशुराम के चित्र या मूर्ति को लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर विराजमान करें।
3. गंगाजल या किसी शुद्ध जल से चित्र या मूर्ति को पवित्र करें।
4. अप पंचोपचार पूजा करें। यानी धूप, गंध, पुष्प, कुंकू, नैवद्य आदि से उनकी पूजा करे।
5. फिर अंत में आरती उतारें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
6. फिर पूरे दिन व्रत निराहार रहें।
7. शाम को आरती करने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
8. इसके बाद अगले दिन फिर से पूजा करने के उपरांत भोजन ग्रहण करें।
मंत्र-
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।