शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. Ahoi Ashtami date 2022
Written By

अहोई अष्टमी कब है, जानिए पाना, पवित्र मुहूर्त, पूजा विधि और पारण समय के साथ सभी जानकारी एक साथ

अहोई अष्टमी कब है, जानिए पाना, पवित्र मुहूर्त, पूजा विधि और पारण समय के साथ सभी जानकारी एक साथ - Ahoi Ashtami date 2022
वर्ष 2022 में अहोई अष्‍टमी पर्व (Ahoi Ashtami 2022) 17 अक्टूबर, दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यतानुसार करवा चौथ और अहोई अष्टमी महिलाओं के दो विशेष पर्व माने गए हैं और इन दोनों त्योहारों में परिवार के कल्याण की भावना निहित होती है, तथा सासू मां के चरणों को तीर्थ मानकर उनसे आशीर्वाद लेने की प्राचीन परंपरा आज भी दिखाई देती है।
 
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार अहोई अष्‍टमी पर्व को मनाते हुए भारतीय महिलाएं जहां पौराणिक रीतिपूर्वक व्रत-उपवास करती हैं, वहीं सांस्कृतिक उमंग द्वारा उत्सव का रूप भी प्रदान करती हैं। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि ही अहोई अष्‍टमी अथवा आठें कहलाती है। 
 
अहोई माता का यह व्रत दीपावली से ठीक एक सप्ताह पूर्व आता है। इस दिन विशेष तौर पर मां पार्वती और अहोई माता का पूजन किया जाता हैं। कहा जाता है इस व्रत को संतान वाली स्त्रियां करती हैं। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि अहोई अष्टमी का व्रत छोटे बच्चों के कल्याण के लिए किया जाता है, जिसमें अहोई देवी के चित्र के साथ सेई और सेई के बच्चों के चित्र भी बनाकर पूजे जाते हैं।
 
अहोई अष्टमी पूजन के पवित्र मुहूर्त : Ahoi Ashtami Muhurat
 
अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 17 अक्टूबर 2022, सोमवार को सुबह 09.29 एएम से
अष्टमी तिथि का समापन- 18 अक्टूबर 2022, मंगलवार को 11.57 ए एम पर।
अहोई अष्टमी व्रत का प्रारंभ 17 अक्टूबर 2022, सोमवार
अहोई अष्टमी पर पूजन मुहूर्त- 05.50 पी एम से 07.05 पी एम तक। 
कुल अवधि- 01 घंटा 15 मिनट्स
तारों को देखने का सायंकालीन समय- 06.13 पी एम पर।
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय टाइम- 11.24 पी एम। 
 
पूजन विधि-Ahoi Ashtami 2022 Puja Vidhi 
 
1. अहोई अष्‍टमी के दिन जिन महिलाओं को व्रत करना होता है, वह दिनभर उपवास रखती हैं।
2. सायंकाल भक्तिभावपूर्वक दीवार अहोई की पुतली रंग भरकर बनाती हैं।
3. उसी पुतली के पास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। आजकल बाजार से अहोई के बने रंगीन चित्र कागज भी मिलते हैं। उनको लाकर भी पूजा की जा सकती है।
4. संध्या के समय सूर्यास्त होने के बाद जब तारे निकलने लगते हैं तो अहोई माता की पूजा प्रारंभ होती है।
5. पूजन से पहले जमीन को स्वच्छ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की भांति चौकी के एक कोने पर रखें और भक्ति भाव से पूजा करें।
6. अपने बच्चों के कल्याण की कामना करें। साथ ही अहोई अष्टमी के व्रत कथा का श्रद्धा भाव से सुनें।
7. इसमें एक खास बात यह भी है कि पूजा के लिए माताएं चांदी की एक अहोई भी बनाती हैं, जिसे बोलचाल की भाषा में स्याऊ भी कहते हैं और उसमें चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजन किया जाता है।
8. जिस प्रकार गले में पहनने के हार में पैंडिल लगा होता है, उसी प्रकार चांदी की अहोई डलवानी चाहिए और डोरे में चांदी के दाने पिरोने चाहिए।
9. फिर अहोई की रोली, चावल, दूध व भात से पूजा करें।
10. जल से भरे लोटे पर सातिया बना लें, एक कटोरी में हलवा तथा रुपए का बायना निकालकर रख दें और सात दाने गेंहू के लेकर अहोई माता की कथा सुनने के बाद अहोई की माला गले में पहन लें, जो बायना निकाल कर रखा है उसे सास के चरण छूकर उन्हें दे दें।
11. इसके बाद चंद्रमा को जल चढ़ाकर भोजन कर व्रत खोलें।
12. सास को रोली तिलक लगाकर चरण स्पर्श करते हुए व्रत का उद्यापन करें।
13. इतना ही नहीं इस व्रत पर धारण की गई माला को दिवाली के बाद किसी शुभ समय में अहोई को गले से उतारकर उसको गुड़ से भोग लगा और जल से छीटें देकर मस्तक झुका कर रख दें।