(1) यहाँ इक शख्स रहता था कि जिसने जिंदगी सारी गुजारी कर्ब के आलम में और इस खुश-खयाली में कि सब गुजरे हुए लम्हे किसी की राह में रोशन रहेंगे और फिर उन आइनों में कोई अपना अक्स देखेगा।
मगर उस जाने वाले को खबर क्या है कि सब गुजरे हुए ल म्हे वह खोए हुए लम्हे किसी ताके-मिजगाँ पर सितारा हैं न आँसू हैं।
(2) न उसके चेहरे पे कुछ लिखा है न मेरी आँखों में कुछ पढ़ा है तो फिर यह नविश्ता1 कौन-सा है जो मेरे दिल में उतर रहा है।