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Written By WD

खत आधी मुलाकात होते हैं?

खत आधी मुलाकात होते हैं? -
- श्याम सखा 'श्याम'

ND
हाँ कुछ खत
आधी मुलाकात होते हैं
इसीलिए तो हम और आप
खत की बाट जोहते हैं

खत में- कभी खुद को
कभी उनको टोहते हैं
कई खत तो
मन को बहुत मोहते हैं
कई खत- दर्दे दिल दोहते हैं
वे खत तो- सचमुच बहुत सोहते हैं।

खतों की न जाने
कितनी परिभाषा हैं
मगर हर खत की एक ही भाषा है
कुछ खत जेठ की धूप होते हैं
कुछ खत सावन की बरसात होते हैं
कुछ खत- आधी मुलाकात होते हैं
खतों की कहानी सदियों पुरानी है
ख‍त की बात मुश्किल समझानी है
खत की जात भला किसने जानी है।

खत कभी दर्द-
कभी खुशियाँ बाँटते हैं
कभी माँ बनकर- सहलाते हैं
कभी पिता बनकर डाँटते हैं
खत का
दिल से बहुत पुराना नाता है
खत में लिखा- हर शब्द
रूह तक जाता है
मुझे तो खत का
हर उनवान बहुत भाता है
कुछ ख‍त दिवस से उजले
कुछ- खत सियाह रैन होते हैं
आपने देखा होगा
कुछ खत बहुत बेचैन होते हैं
कुछ खत खाली-खाली
निरे दिखावटी होते हैं
कुछ खत- सहेजे जजबात होते हैं
खत आधी मुलाकात होते हैं?
खत कभी गुलाब,
कभी केवड़े से महकते हैं
कभी-कभी तो हैं खत
अंगारे बन दहक‍ते हैं
खत जाने कहाँ-कहाँ
जा-बहकते हैं
मन मीत
मिलने पर कोयल से-
चहकते हैं
खत हमेशा
दिल से दिल की बात होते हैं
खत आधी मुलाकात होते हैं।

मैंने देखा है परखा है, जाँचा है
क्या आपने
कभी बिना दिल का खत बाँचा है
क्या नहीं मेरा यह कथन
सचमुच साँचा है
खत पढ़कर क्या नहीं
आपके दिल का मोर नाचा है।

फोन व सेलुलर के आगे खत हुआ
एक ढ़हता हुआ ढाँचा है
पर कुछ लोग
सचमुच मुझसे दीवाने हैं
इस युग में भी
ढूँढ़ते खत लिखने के बहाने हैं
कहे ! क्या?
खत गुजरे हुए जमाने हैं
लोग जो चाहे कह लें
मेरा दिल को यह बात नहीं माने है
रोज एक खत लिखने की ठाने है
हर खत की अपनी
खुशबू अपना अंदाज होता है
हर खत में छुपा
दिल का राज होता है
हर खत लिखने वाला
शाहजहाँ और
पढ़ने वाला मुमताज होता है।
कुछ खत- दीन-धर्म जात होते हैं
कुछ खत तो फकीरों की जमात होते हैं
खत आधी मुलाकात होते हैं।

कुछ खतों में ख्वाब ठहरे होते हैं
कुछ खत तो
सागर से भी गहरे होते हैं
कुछ खत जमीं
कुछ ख‍त आसमाँ होते हैं
कुछ खत तो
उम्र भर की दास्ताँ होते हैं
कुछ ख‍त गूँगे
कुछ खत‍ वाचाल होते हैं
कुछ खत अपने
भीतर समेटे भूचाल होते हैं
मुझ सरीखे लोग खतों को तरसते हैं
खत न मिलने पर
नैनों की राह बरस‍ते हैं।

कुछ ख‍त दो दिन के मेहमान होते हैं
कुछ खत बच्चों की मुस्कान होते हैं
कुछ खत बुढ़ापे की बात होते हैं
कुछ खत जवानी की रात होते हैं
खत क्या
सिर्फ आधी मुलाकात होते हैं?