- लाइफ स्टाइल
» - एनआरआई
» - एनआरआई साहित्य
छब्बीस जनवरी
-
डॉ. राधा गुप्ता पैरों में सजाए महावरी अधरों में मृदुहास री आई फिर छब्बीस जनवरी लेकर नव-उल्लास री है माँग भरी आजादी से वेंदी का रंग तिरंगा है एक कान में कुंडल यमुना और दूसरे में गंगा है चमक रही निज देशभक्ति बनकर नक की नाथ री आई फिर छब्बीस जनवरी लेकर नव-उल्लास री धानी रंग के परिधानों मेंगरिमा और निखर आईं माला डाल गले वैभव की किरणों के रथ पर आई स्वाभिमान की पहन चुडि़याँ कर सोलह श्रृंगार री आई फिर छब्बीस जनवरी लेकर नव-उल्लास री आजादी की वीणा कर झंकृत अमर शहीदों के गुण गातीप्राणों में भरती नव-पुलकन जीवन का आदर्श सिखाती सत्य, अहिंसा, प्रेम भाव की छलकाती हँस गागरी आई फिर छब्बीस जनवरी लेकर नव-उल्लास री। साभार - गर्भनाल