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Written By WD

ये आलम होता है

ये आलम होता है -
- रवीश रंजन

1 मई 1986 को जलालदी टोला, गोपालगंज, बिहार में जन्म। इन दिनों चीन में एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई कर रहे हैं। हिंदी साहित्य में गहरी रुचि रखते हैं

GN
ये आलम होता है
जुबाँ खुलती नहीं।
पलक झुकती नहीं।
साँस चलती नहीं
और धड़कनें तेज हो जाती हैं

जब भी देखता हूँ तुमको
ये आलम होता है
हम रोते नहीं
आँखों में नमी रहती है
दिल कुछ कहता नहीं
बस एक कमी रहती है

जब भी याद आती है तुम्हारी,
ये आलम होता है
हवा महक जाती है
सुर तराने बन जाते हैं
महफिल खामोश हो जाती है
हम कहीं खो जाते हैं
जब भी बात होती है तुम्हारी
ये आलम होता है।