कृष्ण मटकी फोड़ गए
- दिगंबर नासवा
साथ मेरा छोड़ गएगम से रिश्ता जोड़ गएसच न कह दे आइनाआईने को तोड़ गएलहू की थी प्यास उनकोजिस्म जो निचोड़ गएशेर को आते जो देखाजानवर सब दौड़ गएप्रेम करना सीख लियाआत्मा के कोढ़ गएगोपियाँ भरमा रहीं है?कृष्ण मटकी फोड़ गएबाप ने गलती जो देखी कान फिर मरोड़ गए।