कविता : इशारा किया होता...
- विजय कुमार सिंह
कभी भूले से किया तूने इशारा होता,मेरे महबूब गया वक्त हमारा होता।न ये तनहाइयां होतीं न यही शामे गम,तुम जो होते तो न ये हाल हमारा होता।लड़खड़ाती यूं न कश्ती मेरी मंझधारे में,मेरी एक छांव भी होती ये किनारा होता।मुड़ के देखा था कई बार तुझे जाते हुए,सुन ही लेता जो मुझे तूने पुकारा होता।सुबह भरता तेरे लहराते हुए आंचल में,चांदनी ले के तुझे मैंने संवारा होता।कोई चुपके से कहे आ के मेरे कानों में,कैसे जीते जो न यादों का सहारा होता।