शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. शारदीय नवरात्रि
  4. Siddhidatri Worship n Mantra
Written By

नवरात्रि के नौवें दिन कैसे करें मां सिद्धिदात्री का पूजन, जानिए विधि, मंत्र एवं प्रसाद

नवरात्रि के नौवें दिन कैसे करें मां सिद्धिदात्री का पूजन, जानिए विधि, मंत्र एवं प्रसाद - Siddhidatri Worship n Mantra
Siddhidatri Mantra
 
नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं। यह मां दुर्गा का नौंवा रूप हैं। कमल पर विराजमान चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी में विराजित हैं। इनके चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल रहता है। सिर पर ऊंचा सा मुकूट और चेहरे पर मंद मुस्कान ही मां सिद्धिदात्री की पहचान है। इस दिन भी कई भक्त अपने घरों में कुंजिकाओं को बिठाते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं।
 
कौन हैं मां सिद्धिदात्री- भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही 8 सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं। इन्हीं माता की वजह से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम मिला, क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का बना। हिमाचल का नंदा पर्वत इनका प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुई ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
 
कैसे करें नवरात्रि के आखिरी दिन सिद्धिदात्री की पूजा-
 
- घी का दीपक जलाने के साथ-साथ मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
 
- इसके अलावा जो भी फल या भोजन मां को अर्पित करें वो लाल वस्त्र में लपेट कर दें।
 
- निर्धनों को भोजन कराने के बाद ही खुद खाएं।
 
- नवमी तिथि पर साधारणतया माता दुर्गा का पूजन, अर्चन, हवन किया जाता है। लेकिन इस‍ तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता सिद्धिदात्री हैं। सभी सिद्धियों को देने वाली माता कृपालु, दयालु तथा भक्त वत्सल हैं। 
 
- इनका मंत्र इस प्रकार है : 'ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।'
 
- पूजन-अर्चन के पश्चात हवन, कुमारी पूजन, अर्चन, भोजन, ब्राह्मण भोजन करवाकर पूर्ण होता है।
 
- समस्त स्त्रियों में मातृभाव रखने हेतु मां का मंत्र जपा जाता है जिससे देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। घृत, तिल, भोजपत्र होमद्रव्य हैं।
 
'विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:
स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्
का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।'
 
- स्वर्ग तथा मोक्ष पाने हेतु निम्न मंत्र का जप करें। पत्र, पुष्प, तिल, घृत होम द्रव्य हैं।
 
'सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्ति प्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः।।'
 
- भूमि, मकान की इच्‍छा रखने वाले निम्न मंत्र को जपें। साधारण द्रव्य होम के लिए प्रयुक्त करें।
 
'गृहीतोग्रमहाचक्रे दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
वराहरूपिणि शिवे नारायणि नमोऽस्तुते।।'
 
- संतान प्राप्ति की इच्‍छा रखने वाले व्यक्ति, स्त्री या पुरुष निम्न मंत्र का जप करें।
 
'नन्दगोप गृहे जाता यशोदा-गर्भ-सम्भवा।
ततस्तौ नाशयिष्यामि, विन्ध्याचल निवासिनी।।'
 
- घृत व मक्खन से आहुति दें। इच्‍छा अवश्य पूर्ण होगी।
 
देवी के पूजन, अर्चन, जप इत्यादि में समय का अवश्य ध्यान रखें अन्यथा कृपा प्राप्त न होगी। नैवेद्य जरूर चढ़ाएं तथा प्रार्थना करें।
 
नैवेद्य- नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की घटनाओं से बचाव भी होता है।

ये भी पढ़ें
विजयादशमी 2021 : दशहरे के दिन भूलकर भी न करें ये 5 काम