नवरात्रि की पांचवीं देवी मां स्कंदमाता की कथा
Skanda Mata : पुराणों की कथा के अनुसार धरती पर तारकासुर का आतंक था। उसने देवलोक पर भी कब्जा कर लिया था। सभी देवता ब्रह्मा जी की शरण में गए तो उन्होंने कहा कि शिवपुत्र ही इसका अंत कर सकेगा।
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फिर शिव जी की तपस्या भंग की गई और बाद में माता पार्वती का शिवजी से विवाह हुआ। फिर माता पार्वती को एक पुत्र हुआ जिसका नाम स्कंद रखा गया जिसका दूसरा नाम कार्तिकेय भी था।
माता पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप धारण किया और उन्होंने उन्हें अस्त्र शस्त्र विद्या सिखाई।
स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर के साथ युद्ध किया और बाद में उनका अंत किया था। स्कंदमाता को इन नामों से भी जाना जाता है। स्कंदमाता, हिमालय की पुत्री पार्वती हैं। इन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है।
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