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Last Updated : सोमवार, 17 अप्रैल 2023 (20:10 IST)

क्या भाजपा नेताओं पर दर्ज होगी FIR? सुप्रीम कोर्ट में याचिका

क्या भाजपा नेताओं पर दर्ज होगी FIR? सुप्रीम कोर्ट में याचिका - Will FIR be lodged against BJP leaders?
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने माकपा नेता बृंदा करात की उस याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें सीएए विरोधी प्रदर्शन को लेकर कथित तौर पर नफरती भाषण देने को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा नेता प्रवेश वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है।
 
इससे पहले निचली अदालत और फिर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया गया था जिसके खिलाफ करात ने यह याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने शहर की पुलिस को नोटिस जारी किया और 3 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
 
सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट का यह कहना कि दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी की आवश्यकता है, सही नहीं था। पिछले साल 13 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय ने माकपा नेताओं बृंदा करात और के.एम. तिवारी द्वारा भाजपा के 2 सांसदों के खिलाफ उनके कथित घृणास्पद भाषणों के सिलसिले में दायर याचिका को खारिज कर दिया था।
 
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए कहा था कि कानून के तहत मौजूदा तथ्यों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी लेनी जरूरी है। याचिकाकर्ताओं ने निचली अदालत के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था कि ठाकुर और वर्मा ने लोगों को उकसाने की कोशिश की थी जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में 2 अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की 3 घटनाएं हुईं।
 
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यहां रिठाला रैली में ठाकुर ने 27 जनवरी, 2020 को भीड़ को उकसाने के लिए भड़काऊ नारेबाजी की थी। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि वर्मा ने 28 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी की थी।
 
निचली अदालत ने 26 अगस्त, 2021 को याचिकाकर्ताओं की प्राथमिकी दर्ज करने की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह सुनवाई योग्य योग्य नहीं है, क्योंकि सक्षम प्राधिकार, केंद्र सरकार से अपेक्षित मंजूरी नहीं मिली।
 
शिकायत में करात और तिवारी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153-बी (राष्ट्रीय एकजुटता को कमजोर करने वाले भाषण देना) और 295-ए (जानबूझकर किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकियां दर्ज किए जाने का अनुरोध किया था।
 
आईपीसी की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से दिया गया भाषण), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 505 (गड़बड़ी फैलाने के इरादे से दिया गया बयान) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत भी कार्रवाई का अनुरोध किया गया था। इन अपराधों के लिए अधिकतम 7 वर्ष कैद की सजा हो सकती है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta