Corona Effect : इस बार भी नहीं बंटेगा सीमा पर 'शकर' और 'शर्बत'
जम्मू। जम्मू सीमा पर रामगढ़ में गुरुवार को 24 जून को होने वाला चमलियाल मेला फिलहाल रद्द कर दिया गया है। इसके पीछे के कारणों में कोरोनावायरस (Coronavirus) संकट ही है। सांबा जिले की उपायुक्त डॉ. अनुराधा गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है।
डॉ. गुप्ता की अध्यक्षता में हुई बैठक में महामारी को देखते हुए अधिकारियों ने मेले में जुटने वाली भीड़ से संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका जाहिर की। डीसी ने कहा कि मेला संभव नहीं होगा, लेकिन मेले की परंपरा निभाने के लिए बीएसएफ और दरगाह प्रबंधक कमेटी को कोरोना नियमों का पालन करते हुए कुछ रियायत मिल सकती है।
हालांकि अधिकारियों ने इस बार भी इस ओर के लोगों को भी दरगाह पर एकत्र होने से मना कर दिया है। इसलिए एक बार फिर दोनों मुल्कों के बीच बंटने वाली शकर व शर्बत की परंपरा टूट जाएगी। वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि यह परंपरा टूटने जा रही है, बल्कि अतीत में भी पाक गोलाबारी के कारण कई बार यह परंपरा टूट चुकी है और इसमें दूसरी बार कोरोना संकट भी एक कारण बन गया है।
मेले के आयोजन को लेकर सांबा जिला मुख्यालय पर प्रशासनिक अधिकारियों की विशेष बैठक हुई। इसमें चमलियाल मजार प्रबंधन के सदस्यों के अलावा पंचायत प्रमुख व बीएसएफ अधिकारी शामिल हुए। डीसी डॉ. गुप्ता ने प्रशासनिक अधिकारियों से राय जानी।
अधिकारियों ने मौजूदा समय में कोरोना की दूसरी लहर के चलते संक्रमण का खतरा होने की आशंका जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम, लॉकडाउन कोरोना की चेन तोड़ने में कारगर साबित हुए हैं। यदि दोबारा संक्रमण शुरू हुआ, तो उसे संभाल पाना मुश्किल हो जाएगा।
मेले की कथा : जीरो लाइन पर स्थित चमलियाल सीमांत चौकी पर जो मजार है वह बाबा दिलीप सिंह मन्हास की समाधि है। इसके बारे में प्रचलित है कि उनके एक शिष्य को एक बार चम्बल नामक चर्म हो गया था। बाबा ने उसे इस स्थान पर स्थित एक विशेष कुएं से पानी तथा मिट्टी का लेप शरीर पर लगाने को दिया था।
उसके प्रयोग से शिष्य ने रोग से मुक्ति पा ली। इसके बाद बाबा की प्रसिद्धि बढ़ने लगी तो गांव के किसी व्यक्ति ने गला काटकर उनकी हत्या कर डाली। बाद में उनकी हत्या वाले स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई। प्रचलित कथा कितनी पुरानी है, कोई जानकारी नहीं है।
इस मेले का एक अन्य मुख्य आकर्षण भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा ट्रालियों तथा टैंकरों में भरकर शकर तथा शर्बत को पाक जनता के लिए भिजवाना होता है। इस कार्य में दोनों देशों के सुरक्षाबलों के अतिरिक्त दोनों देशों के ट्रैक्टर भी शामिल होते हैं और पाक जनता की मांग के मुताबिक उन्हें प्रसाद की आपूर्ति की जाती है।
बदले में सीमा पार से पाक रेंजर उस पवित्र चादर को बाबा की दरगाह पर चढ़ाने के लिए लाते हैं, जिसे पाकिस्तानी जनता देती है। दोनों सेनाओं का मिलन जीरो लाइन पर होता है। यह मिलन कोई आम मिलन नहीं होता।