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Last Modified: शनिवार, 29 नवंबर 2025 (00:22 IST)

महाराष्ट्र महायुति में बढ़ी खींचतान, शिंदे गुट का दावा, एकनाथ फिर बनेंगे मुख्‍यमंत्री

Maharashtra local body elections elections
Maharashtra local body elections elections: महाराष्ट्र की राजनीति में जारी तनाव के बीच राज्य सरकार के कद्दावर मंत्री और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता दादा भुसे के बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। भुसे ने दावा किया है कि जनता एक बार फिर एकनाथ शिंदे (Deputy CM Eknath Shinde) को महाराष्ट्र के नेतृत्व की भूमिका में देखेगी।
 
नंदुरबार में एक स्थानीय निकाय चुनाव रैली में बोलते हुए दादा भुसे ने एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज भी अगर लोगों से पूछा जाए कि उनके दिल में कौन मुख्यमंत्री है, तो जवाब एकनाथ शिंदे होगा। उन्होंने कहा कि किस्मत में जो दर्ज है, हम जल्द ही शिंदे साहब को राज्य का नेतृत्व करते हुए देखेंगे। यह बयान ऐसे समय आया है जब सत्ताधारी महायुति गठबंधन के भीतर खींचतान और तनाव की खबरें पहले से ही सुर्खियों में हैं। महायुति में भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) शामिल हैं।  
 
निकाय चुनावों ने बढ़ाया तनाव : दरअसल, स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक आने के साथ ही भाजपा और शिवसेना के बीच का तनाव अब खुलकर सामने आ रहा है। यह खींचतान सिर्फ सीट बंटवारे तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों दल एक-दूसरे के नेताओं को अपने पाले में खींचने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे माहौल में दादा भुसे का बयान भविष्य के राजनीतिक समीकरणों की ओर साफ इशारा करता है।
 
बांगर के आवास पर छापेमारी से मतभेद और बढ़े : महाराष्ट्र की राजनीति में एक और नाटकीय घटनाक्रम हिंगोली जिले में सामने आया है, जहां स्थानीय निकाय चुनावों के बीच शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संतोष बांगर के आवास पर पुलिस ने छापेमारी की। शिंदे गुट ने इस कार्रवाई को बीजेपी द्वारा रची गई राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनका दावा है कि लगभग 100 पुलिसकर्मियों ने बांगर के आवास पर तलाशी ली, जिसका उद्देश्य चुनावी माहौल को बिगाड़ना है।
 
यह मामला इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास है। शिंदे गुट का दावा है कि यह पुलिस कार्रवाई भाजपा की मंजूरी और दबाव में हुई है। सीट बंटवारे और स्थानीय वर्चस्व को लेकर दोनों दलों में पहले से ही तनाव था, लेकिन यह छापेमारी उस राजनीतिक खींचतान को और गहरा कर रही है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala