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Last Updated : बुधवार, 12 अक्टूबर 2022 (16:58 IST)

सुप्रीम कोर्ट लक्ष्मण रेखा से वाकिफ, लेकिन नोटबंदी के फैसले की करेगा पड़ताल

सुप्रीम कोर्ट लक्ष्मण रेखा से वाकिफ, लेकिन नोटबंदी के फैसले की करेगा पड़ताल - Supreme Court will examine the decision of demonetisation
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा को लेकर लक्ष्मण रेखा से वाकिफ है, लेकिन 2016 के नोटबंदी के फैसले की पड़ताल अवश्य करेगा ताकि यह पता चल सके कि मामला केवल अकादमिक कवायद तो नहीं था।
 
न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने कहा कि जब कोई मामला संविधान पीठ के समक्ष लाया जाता है, तो उसका जवाब देना पीठ का दायित्व बन जाता है। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना भी शामिल थे।
 
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि जब तक नोटबंदी से संबंधित अधिनियम को उचित परिप्रेक्ष्य में चुनौती नहीं दी जाती, तब तक यह मुद्दा अनिवार्य रूप से अकादमिक ही रहेगा। उच्च मूल्य बैंक नोट (विमुद्रीकरण) अधिनियम 1978 में पारित किया गया था ताकि कुछ उच्च मूल्य वर्ग के बैंक नोट का विमुद्रीकरण जनहित में किया जा सके और अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक धन के अवैध हस्तांतरण पर लगाम लगाई जा सके।
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस कवायद को अकादमिक या निष्फल घोषित करने के लिए मामले की पड़ताल जरूरी है, क्योंकि दोनों पक्ष सहमत होने योग्य नहीं हैं। संविधान पीठ ने कहा कि इस पहलू का जवाब देने के लिए कि यह कवायद अकादमिक है या नहीं या न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है, हमें इसकी सुनवाई करनी होगी। सरकार की नीति और उसकी बुद्धिमता, इस मामले का एक पहलू है।
 
पीठ ने आगे कहा कि हम हमेशा जानते हैं कि लक्ष्मण रेखा कहां है, लेकिन जिस तरह से इसे किया गया था, उसकी पड़ताल की जानी चाहिए। हमें यह तय करने के लिए वकील को सुनना होगा। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अकादमिक मुद्दों पर अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।
 
मेहता की दलील पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता विवेक नारायण शर्मा की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि वह संवैधानिक पीठ के समय की बर्बादी जैसे शब्दों से हैरान हैं, क्योंकि पिछली पीठ ने कहा था कि इन मामलों को एक संविधान पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए।
 
एक अन्य पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि यह मुद्दा अकादमिक नहीं है और इसका फैसला शीर्ष अदालत को करना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विमुद्रीकरण के लिए संसद से एक अलग अधिनियम की आवश्यकता है। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने 16 दिसंबर, 2016 को नोटबंदी के निर्णय की वैधता और अन्य मुद्दों से संबंधित प्रश्न 5 न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ को भेज दिया था।
 
Edited by: Ravindra Gupta(भाषा)
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