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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 18 नवंबर 2016 (17:41 IST)

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार - currency ban Supreme Court
उच्चतम न्यायालय ने पांच सौ और एक हजार के नोटों के विमुद्रीकरण करने संबंधी सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने से आज इनकार कर दिया, लेकिन शीर्ष अदालत ने केन्द्र से कहा है कि इस निर्णय से जनता को हो रही असुविधा कम करने के लिए हो रहे उपायों की जानकारी दी जाए।
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, 'हम इस पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाएंगे।' पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब कुछ वकीलों ने सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
 
एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं। परंतु वह चाहते हैं कि सरकार आम जनता को हो रही असुविधाओं को दूर करने के बारे में स्थिति स्पष्ट करे।
 
पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जनता को हो रही असुविधाओं को न्यूनतम करने के लिए अब तक किए गए उपायों और भविष्य में उठाये जाने वाले कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल किया जाए। न्यायालय ने केन्द्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किए बगैर ही इस मामले को 25 नवंबर को आगे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।
 
इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसका (अधिसूचना) उद्देश्य सराहनीय लगता है, 'परंतु इससे जनता को भी आमतौर पर कुछ असुविधा हो रही है।' पीठ ने कहा, 'आप (केन्द्र) काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते हैं परंतु आप देश की जनता के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं कर सकते है।'
 
याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही केन्द्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने विमुद्रीकरण को चुनौती देने के लिए विभिन्न आधारों पर दायर याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया। केन्द्र ने पहले ही इस मामले में एक अर्जी (कैविएट) दायर कर रखी थी जिसमें अनुरोध किया गया था कि उसका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं दिया जाए।
 
रोहतगी ने विमुद्रीकरण के पीछे सरकार की सोच को रेखांकित करते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर ओर पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के विभिनन हिस्सों में आतंकवाद को तित्तीय सहायता देने के लिए बड़े पैमाने पर नकली मुद्रा का इस्तेमाल हो रहा है।
 
अटार्नी जनरल ने पीठ की इस राय से सहमति व्यक्त की कि आम नागरिकों को कुछ असुविधा हो रही है क्योंकि इस तरह की 'सर्जिकल स्ट्राइक' का कुछ नुकसान होना भी लाजमी है। उन्होंने यह भी कहा कि 'जन धन योजना' के तहत 22 करोड खातों सहित 24 करोड बैंक खाते हैं और केन्द्र सरकार को उम्मीद है कि बैंकों, डाकघरों और दो लाख एटीएम पर धन का प्रवाह बना रहेगा।
 
अटार्नी जनरल ने कहा, 'दो लाख एटीएम मशीनों को पहले से ही नई मुद्रा के अनुरूप नहीं ढाला जा सकता था क्योंकि ऐसा करने पर नकदी बैंकों से बाहर आ जाती। वैसे भी इस तरह की कार्रवाई में गोपनीयता सबसे महत्वपूर्ण होती है।' राहेतगी ने कहा किदेश में आम नागरिकों को धन का वितरण करने के लिए करीब विभिन्न बैंकों की करीब एक लाख शाखाएं और दो लाख एटीएम मशीनों के साथ ही डाकघर भी हैं। उन्होंने कहा कि पैसा निकालने पर लगे प्रतिबंधों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अधिकांश लोगों को इसका भुगतान हो सके।
 
उन्होंने कहा कि केन्द्र के इस निर्णण का विरोध करने का कोई कानूनी आधार नहीं है जिसका उद्देश्य 'बड़ी मछलियों' को पकड़ना हैं जिन्हें पकड़ने में पिछले 50 साल में सरकारें विफल रहीं।
 
याचिकाकर्ता आदिल अल्वी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिका में इस अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक काूनन के प्रावधान का पालन नहीं किया गया है।
 
उन्होंने कानून की धारा 26 (2) का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार एक ही झटके में बड़ी कीमत वाली मुद्रा की सभी श्रृंखलाओं का विमुद्रीकरण करने के लिए अधिकृत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार पांच सौ और एक हजार रुपए की सभी श्रृंखलाओं का विमुद्रीकरण करना चाहती है तो इसके लिए कानून बनाना होगा। उन्होंने कहा कि 1978 में इस संबंध में एक कानून बनाया गया था।
 
सिब्बल ने इसके साथ बैंकों और एमटीएम मशीनों से अपना ही धन हासिल करने में आम जनता को रही असुविधाओं का जिक्र करते हुये कहा कि यह तो 'आम आदमी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक है।' शीर्ष अदालत नरेन्द्र मोदी सरकार के आठ नवबंर के फैसले के खिलाफ दायर चार जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 10 नवंबर को सहमत हो गई थी।
 
इन याचिकाओं में से दो याचिका दिल्ली स्थित वकील विवेक नारायण शर्मा और संगम लाल पाण्डे ने दायर की थी जबकि दो अन्य याचिकायें एम मुथुकुमार और आदिल अल्वी ने दायर की हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार के इस औचक फैसले से देश में अफरा तफरी हो गयी है और जनता परेशान है। याचिका में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की अधिसूचना रद्द करने या इसे कुछ समय के लिए स्थगित रखने का अनुरोध किया गया है।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर को रात में राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि पांच सौ और एक हजार रुपए की मुद्रा नौ नवंबर से अमान्य की जा रही है। उन्होंने कहा था कि सरकार ने काले धन ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ 'निर्णायक युद्ध' छेड़ दिया है। (भाषा)