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Last Updated : बुधवार, 22 जुलाई 2020 (18:10 IST)

Vikas Dubey Encounter: : सुप्रीम कोर्ट ने दी 3 सदस्यीय जांच आयोग को मंजूरी, 2 माह में देनी होगी रिपोर्ट

Vikas Dubey Encounter: : सुप्रीम कोर्ट ने दी 3 सदस्यीय जांच आयोग को मंजूरी, 2 माह में देनी होगी रिपोर्ट - supreme court approves 3 member commission to investigate vikas dubey encounter
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके 5 सहयोगियों की मौत की घटनाओं की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीरसिंह चौहान की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा है कि आयोग एक हफ्ते में काम करना शुरू कर दे और इसके बाद 2 महीने में रिपोर्ट दे।
 
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा पेश अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी देते हुए कहा कि इसे अधिसूचित कर दिया जाए।
 
राज्य सरकार द्वारा गठित जांच आयोग के अन्य सदस्यों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और उप्र के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता शामिल हैं।
 
इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने केन्द्र को जांच आयोग को सचिवालय सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और कहा कि यह सहयोग राष्ट्रीय जांच एजेंसी या किसी अन्य केन्द्रीय एजेन्सी द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
 
पीठ ने कहा कि यह जांच आयोग कानून के तहत अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत के साथ ही राज्य सरकार को भी सौंपेगा।
 
पीठ ने कहा कि वह कार्य शर्तों के साथ आयोग के हाथ बांधने के पक्ष में नहीं है। पीठ का कहना था कि जांच आयोग की जांच का दायरा पर्याप्त व्यापक होना चाहिए।
 
न्यायालय ने कहा कि जांच आयोग को 8 पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद विकास दुबे तथा उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की जांच करनी होगी।
 
इससे पहले उप्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि न्यायमूर्ति चौहान ने जांच आयोग का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी है।
 
उन्होंने कहा कि जांच आयोग उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिनमें विकास दुबे, जिसके खिलाफ 65 प्राथमिकी दर्ज थीं, जमानत पर रिहा हुआ।
 
शीर्ष अदालत विकास दुबे और उसके 5 कथित सहयोगियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई या एनआईए से जांच कराने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
 
इनके अलावा कुछ याचिकाओं में कानपुर के बिकरू गांव में 3 जुलाई को आधी रात के बाद विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस की टुकड़ी पर घात लगाकर पुलिस पर हुए हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित 8 पुलिसकर्मियों के मारे जाने की घटना की जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है।
 
विकास दुबे 10 जुलाई को मुठभेड़ में उस समय मारा गया जब उज्जैन से उसे लेकर आ रही पुलिस की गाड़ी कानपुर के निकट भौती गांव इलाके में कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई और मौके का फायदा उठाकर दुबे ने भागने का प्रयास किया। दुबे के मारे जाने से पहले अलग-अलग मुठभेड़ों में उसके 5 कथित सहयोगी भी मारे गए थे।
न्यायालय ने 20 जुलाई को इन याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तरप्रदेश सरकार से कहा था कि विकास दुबे मुठभेड़ की जांच के लिए गठित समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार किया जाए।
 
साथ ही पीठ ने इन घटनाओं पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि आपको एक राज्य के रूप में कानून का शासन बरकरार रखना है। ऐसा करना आपका कर्तव्य है।
 
न्यायालय ने इस दौरान यह टिप्पणी भी की थी कि गैंगस्टर विकास दुबे जैसे व्यक्ति के खिलाफ अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलना संस्था की विफलता है। पीठ ने कहा था कि एक व्यक्ति, जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए था, उसे जमानत मिल जाना संस्था की विफलता है। हम इस तथ्य से स्तब्ध हैं कि अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद विकास दुबे जैसे व्यक्ति को जमानत मिल गई।
 
उप्र सरकार ने इन घटनाओं का विवरण देते हुए न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया था। इसमें कहा गया था कि सरकार ने दुबे और उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल की अध्यक्षता में एक न्यायिक समिति गठित की है।
 
राज्य सरकार के पुलिस महानिदेशक ने हलफनामे में दावा किया था कि गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दुबे ने जब भौती गांव के निकट भागने के प्रयास में पुलिस पर गोलियां चलाईं तो पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की जिसमें यह अपराधी मारा गया।
 
हलफनामे में यह भी कहा गया था कि इस खतरनाक अपराधी द्वारा किए गए अपराधों तथा दुबे, पुलिस और नेताओं के बीच कथित साठगांठ की जांच के लिए 11 जुलाई को प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय विशेष जांच दल भी गठित किया गया है। (भाषा)