शहाबुद्दीन को उच्चतम न्यायालय से अगली सुनवाई तक मिली राहत
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय जनता दल के विवादास्पद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को हत्या के एक मामले में पटना उच्च न्यायालय से मिली जमानत को चुनौती देने वाली एक याचिका पर नोटिस जारी कर याचिका को खारिज किया। न्यायाल ने कहा कि उनका पक्ष सुनना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने शहाबुद्दीन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने की मांग की थी। उच्चतम न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तिथि मुकर्रर की।
जमानत पर रिहा हुए पूर्व सांसद और राजद नेता शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कराने वाली दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। उनकी जमानत खारिज करने के लिए चंदा बाबू की ओर से प्रशांत भूषण ने याचिका दायर की है। दूसरी याचिका बिहार सरकार की ओर दी गई है।
याचिका में उल्लेख है कि शहाबुद्दीन हार्डकोर टाइप A हिस्ट्रीशीटर, जिसे सुधारा नहीं जा सकता। शहाबुद्दीन पर कुल 58 आपराधिक मामले हैं, जिसमें से 8 में दोषी करार दिया जा चुका है। नवंबर 2014 तक उनके खिलाफ मजिस्ट्रेट के सामने 27 और सेशन में 11 मुकदमे लंबित हैं।
हत्या के दो मामलों में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। ऐसे शख्स को जमानत देकर हाईकोर्ट ने इस तथ्य को अनदेखा किया है कि शहाबुद्दीन के मन में कानून के लिए कोई सम्मान नहीं है।
हाईकोर्ट के इस आदेश से इतने आपराधिक केसों में आरोपी होने के बावजूद शहाबुद्दीन ऐसे बाहर आ गया है जैसे उस पर कोई केस ही न हो। हाईकोर्ट का जमानत देने का आदेश कानून का मजाक उड़ाना है क्योंकि हत्या के केस में अभी तक गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं हुए हैं। 18 मई 2016 को सिवान जेल में छापे के दौरान उसके पास से 40 मोबाइल भी बरामद हुए।
गौरतलब है कि 2004 में शहाबुद्दीन द्वारा मारे गए दो भाइयों गिरीश और सतीश के मामले में शहाबुद्दीन को दिसम्बर 2015 में उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। इस मामले में इकलौते गवाह गिरीश और सतीश के इकलौते भाई राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्या कर दी गई थी।