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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 5 जून 2025 (12:43 IST)

अद्भुत... अलौकिक...अविस्मरणीय! कैसा है श्रीराम दरबार, जानिए इसकी अनोखी विशेषताएं

Ayodhya
ram darbar ayodhya: अयोध्या में नव-निर्मित श्रीराम मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रीराम दरबार में राजा राम अपने परिवार के साथ विराज गए हैं। राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, इस भव्य मंदिर में मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) स्थापित है, जबकि प्रथम तल पर भव्य श्रीराम दरबार बनाया गया है। राम दरबार में श्रीराम भव्य और राजसी रूप में विराजे हैं। साथ ही श्री राम का दरबार भी भव्यता का पर्याय है। आइये जानते हैं श्री राम दरबार की प्रमुख और मनमोहक विशेषताएं, जो इसे बहुत खास बनाती हैं।

श्रीराम दरबार में कौन-कौन से भगवान विराजे हैं
राम दरबार की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां केवल भगवान राम ही नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार और प्रिय भक्तों की मूर्तियां भी होंगी। इस राम दरबार में भगवान राम, मां सीता, परम भक्त हनुमान के साथ ही भगवान राम के तीनों भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की भी प्रतिमाएं विराजमान होंगी। यह राम दरबार, मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्श परिवार और उनके अनुयायियों की एकता का प्रतीक होगा।

प्रतिदिन दिव्या होगा राजा राम का स्वरुप
भगवान राम की नई प्रतिमा को राजा के रूप में सजाया जाएगा, जिसमें वे पूरी तरह से राजसी ठाठ-बाठ में दिखाई देंगे। उनकी पोशाक में विशेष रॉयल एलिमेंट्स जैसे कि मुकुट, कमरबंद, सोने-चांदी की कढ़ाई, और रत्नजड़ित वस्त्र शामिल होंगे। यह सब मिलकर उन्हें एक भव्य और दिव्य राजा का स्वरूप प्रदान करेगा, जो भक्तों को सीधा त्रेतायुग की याद दिलाएगा। इस तरह राजा राम अपने पूर्ण राजसी वैभव के साथ सिंहासन पर विराजमान होंगे!

भगवान राम की पोशाकों में हर राज्य की संस्कृति का होगा समावेश
भगवान राम की पोशाकों में दो या दो से अधिक राज्यों के पारंपरिक वस्त्रों का संयोजन किया जाएगा। पोशाकों में देश के विभिन्न कोनों से ज़रदोज़ी, कांथा, चिकनकारी, पटोला, कांचीवरम, इक्कत, और खादी जैसे कई परंपरागत डिज़ाइन शामिल होंगे। मतलब एक दिन भगवान राम की पोशाक में बनारस की ज़रदोज़ी का काम हो सकता है, तो अगले दिन बंगाल की कांथा कला या लखनऊ की चिकनकारी का स्पर्श। इसी तरह, गुजरात का पटोला, दक्षिण भारत का कांचीवरम, ओडिशा या आंध्र प्रदेश का इक्कत और महात्मा गांधी के खादी का गौरव भी भगवान के वस्त्रों में झलकेगा। यह एक ऐसा अनूठा प्रयास है जो भारत की समृद्ध हस्तकला और वस्त्र परंपरा को विश्व पटल पर प्रदर्शित करेगा।

प्रतिदिन बदलेंगे वस्त्र: मौसम और परंपरा का विशेष ध्यान
हमारे देश में भगवान की मूर्तियों के प्रतिदिन वस्त्र बदलने की परंपरा पुरातन है। इसी तरह, राम दरबार के सभी देवताओं की पोशाकें भी रोज़ बदली जाएंगी। यह परंपरा न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि इससे भगवान के स्वरूप में नित-नूतनता भी बनी रहेगी। सबसे खास बात यह है कि हर दिन एक विशेष रंग को समर्पित होगा, जो पंचांग और भारतीय परंपरा के अनुसार तय किया जाएगा। यह ज्योतिषीय गणना और धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप होगा, जिससे प्रत्येक दिन का अपना एक विशेष महत्व होगा।

पोशाकें केवल रंग में ही नहीं, बल्कि मौसम के अनुसार भी तैयार की जाएंगी। गर्मियों में भगवान हल्के खादी, मलमल या कॉटन के वस्त्र धारण करेंगे, जो उन्हें गर्मी से राहत देंगे। सर्दियों में सिल्क, ऊनी कपड़े, और पश्मीना जैसे गर्म फैब्रिक से भगवान के वस्त्र तैयार किए जाएंगे, ताकि वे ठंड से बचे रहें। वहीं, वर्षा ऋतु में रंग-बिरंगे और जलरोधी कपड़ों से भगवान के वस्त्र तैयार किए जाएंगे जो बारिश के मौसम के अनुरूप हों। इस प्रकार, अयोध्या में भगवान राम की पोशाकें केवल वस्त्र नहीं होंगी, बल्कि वे भारत की सांस्कृतिक विविधता, कलात्मक कौशल और गहरी धार्मिक परंपराओं का जीवंत प्रतीक होंगी। यह निश्चित रूप से भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।

गंगा दशहरा और अभिजीत मुहूर्त का खास महत्व
यह विशेष स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा का खास पल गंगा दशहरा के शुभ दिन पर चुना गया है। इसके पीछे एक गहरा धार्मिक महत्व है। मान्यता के अनुसार, भगवान राम का जन्म द्वापर युग में अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था। इस विशेष मुहूर्त को शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है, और इसी दिन भगवान राम के पूरे परिवार के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की भी स्थापना होना अयोध्या में एक नई धार्मिक चेतना का संचार करेगा।

राम मंदिर में अन्य देवी-देवताओं का वास
अयोध्या के इस भव्य राम मंदिर में केवल राम दरबार ही नहीं, बल्कि परिसर में छह अन्य मंदिरों की भी प्राण-प्रतिष्ठा की गई । जिन देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्रतिष्ठा हुई, वे हैं:
•        शिवलिंग
•        गणपति
•        हनुमान जी
•        सूर्य देव
•        भगवती
•        अन्नपूर्णा
•        शेषावतार
इन सभी देवी-देवताओं की उपस्थिति राम मंदिर को एक संपूर्ण तीर्थस्थल बनाएगी, जहां भक्त विभिन्न आराध्यों के दर्शन कर सकेंगे और आध्यात्मिक शांति प्राप्त कर सकेंगे।

 
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