गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Panama Papers: New ICIJ data shows about 2,000 Indian names
Written By
Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 10 मई 2016 (10:11 IST)

पनामा पेपर्स मामले में 2000 भारतीयों का खुलासा

पनामा पेपर्स मामले में 2000 भारतीयों का खुलासा - Panama Papers: New ICIJ data shows about 2,000 Indian names
नई दिल्ली। आईसीआईजे ने कर चोरी के सुरक्षित ठिकाने माने जाने वाले देशों में कंपनियां रखने से जुड़ी ‘पनामा पेपर्स’ की विस्तृत जानकारी प्रकाशित की है। इसमें हजारों दस्तावेज ऐसे हैं, जो भारत के लगभग 2000 लोगों, कंपनियों और पतों से जुड़े हैं।
 
इंटरनेशनल कंर्सोटियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने सोमवार को एक डेटाबेस प्रकाशित किया है, जिसने नेवादा से हांगकांग तक और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में स्थापित लगभग 2.14 लाख विदेशी इकाइयों की गोपनीयता को उजागर करके रख दिया है।
 
कंर्सोटियम ने अपने हालिया संदेश में कहा कि यह जानकारी पनामा पेपर्स जांच का हिस्सा है। यह विदेशी कंपनियों और उनके पीछे के लोगों के बारे में अब तक जारी हुई सबसे बड़ी जानकारी है। उपलब्ध होने पर इसमें इन अपारदर्शी इकाइयों के असल मालिकों के नाम भी शामिल हैं।
 
इस डेटाबेस में भारत से जुड़ी जानकारी को तलाशने पर इसमें लगभग 22 विदेशी इकाइयों, 1046 अधिकारियों या लोगों के लिंक, 42 बिचौलियों एवं देश के भीतर 828 पते मिलते हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे उपनगरीय शहरों से लेकर हरियाणा के सिरसा, बिहार के मुजफ्फरपुर और मध्यप्रदेश के मंदसौर और राज्य की राजधानी भोपाल तक के पते शामिल है।
 
पनामा की विधि कंपनी मोसैक फोन्सेका के हासिल गोपनीय विदेशी डेटा के आधार पर पनामा पेपर्स की पहला संस्करण लेकर आने वाली इस वैश्विक संस्था ने कहा कि किसी विशेष देश के बारे में जानकारी का ‘दूसरा पहलू’ हो सकता है क्योंकि उसने यह दोहराया कि विदेशी कंपनियों और ट्रस्टों के वैध इस्तेमाल भी हैं।
 
संस्था ने अपने वेब पोर्टल पर कहा कि हम यह नहीं कहना चाहते कि आईसीआईजे के विदेशी लीक डेटाबेस में जिन लोगों, कंपनियों या अन्य इकाइयों के नाम हैं, उन्होंने कानून तोड़ा है या अनुचित तरीके से व्यवहार किया है।
 
पिछले माह पनामा पेपर्स के पहले सेट में सामने आए 500 से अधिक नामों पर गौर करने के लिए भारत ने एक बहु-एजेंसी समूह :एमएजी: गठित किया है, जिसमें आयकर विभाग, एफआईयू, आरबीआई और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के तहत आने वाले विदेशी कर एवं कर अनुसंधान (एफटी और टीआर) शामिल हैं। इसके अलावा कालेधन पर बना विशेष जांच दल इन मामलों की जांच की समीक्षा कर रहा है।
 
सरकार ने भी संसद के जारी सत्र में कहा है कि आयकर विभाग ने सूची में सामने आए नामों के आधार पर विभिन्न इकाइयों को नोटिस जारी किए हैं।
 
भारतीय जांचकर्ताओं ने कहा था कि वे इस मामले में ताजा जानकारी आने पर इस पर गौर करेंगे। इस ताजा जानकारी में ये हालिया दस्तावेज शामिल हैं। आईसीआईजे ने नाम और पतों से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी जनहित में जारी करने की बात कहते हुए यह भी कहा कि हालिया कदम भी पनामा पेपर्स और विदेशी लीक की जांच से जुड़ी लगभग 3.2 लाख विदेशी कंपनियों और ट्रस्टों के पीछे के लोगों का पता लगाने की कोशिश है।
 
संस्था की वेबसाइट पर ग्राफिक के रूप में डाले गए नाम और पते भारतीय नाम और पतों को उनकी कंपनी की पहचान के साथ तो दर्शाता ही है, साथ ही साथ यह कुछ मामलों में कंपनी की शुरुआत की तिथि का भी विशेष उल्लेख करता है।
 
समूह ने कहा कि आईसीआईजे जिस नए डेटा को सार्वजनिक कर रहा है, वह पनामा पेपर्स का एक हिस्सा भर है। पनामा पेपर्स पनामा की विधि कंपनी मोसैक फोन्सेका की 1.15 करोड़ से ज्यादा लीक हुई फाइलें हैं। यह विधि कंपनी पता न लगाई जा सकने वाली कंपनियों, ट्रस्टों और संस्थाओं का गठन करने वाली दुनिया की शीर्ष कंपनियों में से एक है।
 
समूह ने कहा कि आईसीआईजे लीक से जुड़ी सब जानकारी प्रकाशित नहीं कर रहा और न ही वह मूल दस्तावेज या निजी जानकारी जारी कर रहा है। इस डेटाबेस में कंपनी मालिकों, छद्म लोगों और बिचौलियों के बारे में व्यापक गोपनीय जानकारी है लेकिन यह बैंक खातों, ईमेल के लेनदेन और दस्तावेजों में वर्णित वित्तीय लेन-देन की जानकारी उजागर नहीं करता।
 
समूह ने कहा कि लीक किए गए डेटा में लगभग 40 वर्षों यानी 1977 से 2015 के अंत तक की जानकारी है। उच्चतम न्यायालय ने भी सोमवार को केंद्र से एक याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले उन लोगों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है, जिनके नाम पनामा पेपर्स में आए हैं। (भाषा) 
ये भी पढ़ें
जदयू एमएलसी का भगोड़ा बेटा रॉकी यादव गिरफ्तार