क्या लादेन की मौत का सबूत किसी ने मांगा था?
भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी शिविरों पर किए लक्ष्यभेदी (सर्जिकल) हमले हमले के बाद राजनीति पूरी तरह गर्म है। पाकिस्तान जहां हमले से इनकार करते हुए इसके सबूत मांग रहा है, वहीं भारत में भी कुछ मूर्ख राजनीतिज्ञों की जमात भी पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रही है। प्रश्न यह भी है कि आखिर हम क्यों किसी को सबूत दें?
क्या पाकिस्तान ने 26/11 के मुंबई हमले, पठानकोट हमले और अन्य हमलों के बारे में अब तक सौंपे गए सबूतों को स्वीकार किया है? यदि नहीं तो फिर यदि भारत सरकार इस सैन्य कार्रवाई के सबूत दे भी दे तो क्या गारंटी है कि पाकिस्तान उसे मान भी ले। दरअसल, फिर सबूत मिलने के बाद भी वही राजनीति का घिसापिटा खेल जारी रहेगा। हालांकि इस बीच भारतीय सेना ने सरकार को लक्ष्यभेदी हमले की कार्रवाई का वीडियो सौंप दिया है।
मई 2011 में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के शहर एबटाबाद में घुसकर अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराने की घटना तो सभी को याद होगी। ध्यान रहे कि अमेरिकी नेवी सील कमांडो टीम ने सैन्य क्षेत्र में अपनी इस कार्रवाई को अंजाम दिया। हेलिकॉप्टर से पहुंचे इस दस्ते की आमद से न तो एबटाबाद में किसी की नींद टूटी न ही बाद में किसी ने इस ऑपरेशन पर सवाल उठाया। पाकिस्तान की नेताओं की ओर से भी किसी ने चूं-चपड़ नहीं की। न ही किसी को यह पूछने की हिम्मत हुई कि अमेरिका ने लादेन की लाश को किस तरह ठिकाने लगाया। इस बाबत जो भी खबरें सामने आईं वे सब अमेरिका द्वारा ही जारी की गई थीं।
इस ऑपरेशन के दौरान अमेरिका को तो अपने एक हेलीकॉप्टर मजबूरी में वहीं छोड़ना पड़ा था, जिसे पाकिस्तानी सेना की मदद से नष्ट करवाया था ताकि उसकी टेक्नोलॉजी किसी दूसरे देश के हाथ न लग जाए। दूसरी ओर भारतीय पैरा एसएफ ने अपने ऑपरेशन को बहुत ही सफाई से अंजाम दिया था और सबूत के नाम पर कुछ भी वहां नहीं छोड़ा। शायद इसी से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है और सबूत मांग रहा है। दुर्भाग्य से हमारे देश के कुछ नेता भी सैन्य कार्रवाई का सबूत मांग रहे हैं। शायद उनके लिए देश से बड़ी राजनीति है।