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Last Modified: गुरुवार, 6 अप्रैल 2023 (17:11 IST)

Budget Session 2023 : बजट सत्र के समापन पर विपक्ष ने दिखाई एकजुटता, व्यवधान के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार

Parliament
नई दिल्ली। कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन एकजुटता दिखाते हुए आगे भी मिलकर काम करने का संकल्प लिया और आरोप लगाया कि इस सत्र में कार्यवाही बाधित रहने के लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेदार है।

विपक्षी दलों ने यह दावा भी किया कि अगर सरकार का यही रुख रहा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और देश तानाशाही की तरफ बढ़ जाएगा। बजट सत्र के लिए लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन और विजय चौक तक ‘तिरंगा मार्च’ निकाला और कांस्टीट्यूशन क्लब पहुंचकर साझा मंच से मीडिया से मुखातिब हुए।

कांग्रेस का कहना है कि 19 विपक्षी दल एकसाथ आए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, मोदी सरकार लोकतंत्र के बारे में बातें तो बहुत करती है, लेकिन कहने के मुताबिक चलती नहीं है। 50 लाख करोड़ रुपए का बजट सिर्फ 12 मिनट में, बिना चर्चा किए पारित कर दिया गया।

उन्होंने दावा किया, सत्तापक्ष की तरफ से संसद की कार्यवाही में बार-बार व्यवधान डाला गया। ऐसा पहली बार हुआ है। पूर्व में ऐसा कभी नहीं देखा। खरगे ने आरोप लगाया, सरकार की मंशा थी कि सत्र नहीं चले। इस व्यवहार की हम निंदा करते हैं। अगर सरकार का रुख ऐसा ही रहता है तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और देश तानाशाही की तरफ बढ़ जाएगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या संसद के बजट सत्र के दौरान दिखी विपक्षी एकजुटता जमीन पर दिखेगी तो खरगे ने कहा, हम सभी जमीन पर ही हैं। एकता लाने की पूरी कोशिश हो गई है। देश की एकता और अखंडता, लोकतंत्र एवं संविधान के लिए हम सभी प्रतिबद्ध हैं। मोदी जी को शायद जमीनी स्थिति के बारे में पता नहीं है कि लोग महंगाई, बेरोजगारी से परेशान हैं। हम एकता के साथ अपना काम करते रहेंगे। हम एकजुट होकर आगे के चुनाव लड़ते रहेंगे।

विपक्षी एकजुटता की स्थिति में नेतृत्व से जुड़े सवाल पर बीआरएस के वरिष्ठ नेता के. केशव राव ने कहा कि नेतृत्व कोई व्यक्ति ही करेगा, लेकिन यह विचारधाराओं के मिलन और कार्यक्रम पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि सभी दल आगे विपक्षी एकजुटता को लेकर सहमत हैं, लेकिन इसका क्या स्वरूप होगा, यह भविष्य की बात है।

द्रमुक नेता टीआर बालू ने भी कहा कि विपक्षी दल अब एकजुट होकर काम करेंगे।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सत्तापक्ष राहुल गांधी से डरा हुआ है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा, हम अडाणी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग कर रहे थे। जेपीसी बनती तो उनके (सत्ता पक्ष के) ज्यादा सदस्य होते, फिर सरकार जेपीसी बनाने से क्यों डरती है?

कांग्रेस अध्यक्ष के मुताबिक, लगता है कि दाल में कुछ काला है, इसीलिए जेपीसी के गठन की मांग नहीं मानी जा रही है। उन्होंने दावा किया कि सत्ता पक्ष ने अडाणी मामले से ध्यान भटकाने के लिए राहुल गांधी की लंदन में की गई टिप्पणी का मुद्दा उठाया और उनसे माफी की मांग की।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गांधी को 2019 के मानहानि के एक मामले में अदालत द्वारा दोषी ठहराते और सजा सुनाते ही लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया, लेकिन 2016 में भाजपा सांसद नारणभाई कछाडिया को तीन साल की सजा होने पर भी, अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए पूरा समय दिया गया।

उन्होंने सवाल किया, क्या यही लोकतंत्र है? उन्होंने कहा कि विपक्ष न्याय, संविधान और लोकतंत्र के लिए लड़ रहा है। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने आरोप लगाया कि अडाणी मामले से ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने पूरे सत्र की कार्यवाही को बाधित किया।

संसद में व्यवधान के लिए रीजीजू ने की विपक्ष की आलोचना : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने संसद की कार्यवाही बाधित करने और सदन में काले कपड़े पहनकर आने के लिए गुरुवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की। हंगामे और नारेबाजी के बीच बजट सत्र के अंतिम दिन लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।

राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ चर्चा में रीजीजू ने कहा कि कांग्रेस और ‘उसके गिरोह’ एक व्यक्ति राहुल गांधी की खातिर संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं।उन्होंने कहा, आखिरी दिन भी कांग्रेस और उसके मित्रों ने सदन की कार्यवाही बाधित की। उन्होंने काले कपड़े पहने और फिर से संसद का अपमान किया।

उन्होंने कहा, यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। हम चाहते हैं कि संसद की गरिमा बनी रहे। कांग्रेस और उसके समर्थक एक सांसद राहुल गांधी के लिए क्या कर रहे हैं, इसे देश देख रहा है। रीजीजू ने कहा, हमने देखा है कि कैसे कांग्रेस और उसके गिरोह दबाव बनाने के लिए सूरत की अदालत गए। जिस तरह से उन्होंने जुलूस निकाला, वह निंदनीय है।

विपक्षी दलों ने संसद के पूरे बजट सत्र के दौरान एकता दिखाई। गत 13 मार्च को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही शुरू होने के बाद से विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया है। अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग को लेकर सभी पार्टियां एकमत रही हैं और उन्होंने इस मामले को लोकसभा और राज्यसभा में उठाया जिससे दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई।

इस दौरान भाजपा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ब्रिटेन में उनके लोकतंत्र संबंधी बयान को लेकर माफी मांगने की मांग पर अड़ी रही। सूरत की एक अदालत ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में गांधी को दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।
Edited By : Chetan Gour (एजेंसियां)
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