बजट सत्र बर्बाद, लोकसभा में सिर्फ 45 घंटे और राज्यसभा में 31 घंटे काम हुआ
नई दिल्ली। एक थिंक टैंक द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार दैनिक व्यवधान और बार-बार स्थगन के कारण संसद के बजट सत्र में निर्धारित समय से बहुत कम कामकाज हो सका। ज्यादातर समय हंगामे की भेंट चढ़ गया। इस बार विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के सांसदों ने भी संसद में जमकर बवाल काटा।
विपक्ष ने जहां अडाणी के मुद्दे पर हंगामा किया, वहीं सत्तारूढ़ सांसदों ने राहुल की मांफी की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही को अवरुद्ध किया। यदि संसद एक दिन हंगामे की भेंट चढ़ जाए तो करोड़ों का नुकसान होता है।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च नामक थिंक टैंक के अनुसार, लोकसभा में 133.6 घंटे की निर्धारित अवधि के मुकाबले 45 घंटे से थोड़ा ही अधिक कामकाज हुआ, जबकि राज्यसभा में 130 घंटे की निर्धारित अवधि के मुकाबले 31 घंटे से थोड़ा ही अधिक कामकाज हुआ।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने कहा कि इसका अर्थ है कि लोकसभा में निर्धारित समय के 34.28 प्रतिशत समय में ही कामकाज हुआ वहीं राज्यसभा में 24 प्रतिशत समय में कामकाज हुआ।
दोनों सदनों में व्यवधान का असर प्रश्नकाल पर भी पड़ा और पूरे बजट सत्र के दौरान लोकसभा में 4.32 घंटे ही प्रश्नकाल चला जबकि राज्यसभा में यह समय सिर्फ 1.85 घंटा रहा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बजट सत्र के दौरान हुए कामकाज का ब्योरा प्रस्तुत करते हुए लोकसभा में कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सदन में 13 घंटे 44 मिनट चर्चा चली जिसमें 143 सदस्यों ने भाग लिया।
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि बजट पर 14 घंटे और 45 मिनट चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान सदन में 8 विधेयक पेश किए गए और छह विधेयक पारित हुए। बिरला ने कहा कि सत्र के दौरान 29 तारंकित प्रश्नों के उत्तर दिए गए। (भाषा/वेबदुनिया)