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Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 3 अक्टूबर 2016 (12:16 IST)

नीतीश कटारा हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने विकास और विशाल की सजा कम की

Nitish Katara murder case
नई दिल्ली। नीतीश कटारा हत्याकांड मामले में दोषी विकास यादव, उसके चचेरे भाई विशाल तथा उनके सहयोगी सुखदेव पहलवान को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को थोड़ी राहत मिली है। तीनों की सजा की अवधि को सुप्रीम कोर्ट ने 5-5 साल कम कर दी है। अब सुप्रीम कोर्ट ने विकास और विशाल यादव को 25-25 साल की सजा सुनाई है।

 
पहले इन्हें 30-30 साल की सजा सुनाई थी, साथ ही नौकर सुखदेव पहलवान की सजा 25 साल से घटाकर 20 साल कर दी है। गौर हो कि कटारा की वर्ष 2002 में हत्या कर दी गई थी और इन तीनों को सनसनीखेज मामले में दोषी ठहराया गया था।
 
गौर हो कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी उम्रकैद की सजा किसी छूट के बिना 25 साल तक के लिए बढ़ा दी थी और सबूत नष्ट करने के लिए 5 साल की अतिरिक्त सजा दी थी। उच्च न्यायालय ने कटारा की हत्या को झूठी शान के लिए हत्या करार दिया था। विकास और विशाल के सहयोगी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की उम्रकैद की सजा भी किसी छूट के बिना 25 साल तक के लिए बढ़ा दी गई थी। 
 
अदालत ने उनके द्वारा किए गए अपराध को दुर्लभ में भी दुर्लभतम श्रेणी का करार दिया था, लेकिन यह कहते हुए फांसी की सजा नहीं सुनाई थी कि उनके सुधार और पुनर्वास की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
 
उच्चतम न्यायालय ने 17 अगस्त 2015 को विकास, विशाल और सुखदेव की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था तथा कहा था कि इस देश में केवल अपराधी ही न्याय के लिए चिल्ला रहे हैं। पूर्व में उच्च न्यायालय ने कहा था कि कटारा की हत्या झूठी शान के नाम पर की गई हत्या है, जो चरम प्रतिशोध की भावना से बहुत ही योजनाबद्ध और नियोजित तरीके से की गई। कटारा के विकास की बहन से प्रेम संबंध थे।
 
अदालत ने विकास और विशाल पर लगाए गए जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी थी और उन्हें 6 सप्ताह में 54-54 लाख रुपए निचली अदालत में जमा करने का निर्देश दिया था। कटारा के अपहरण और हत्या के मामले में निचली अदालत ने मई 2008 में विकास (39) और विशाल (37) को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बिजनेस एक्जीक्यूटिव कटारा एक रेलवे अधिकारी का पुत्र था। वर्ष 2002 में 16-17 फरवरी की रात उसकी हत्या कर दी गई थी।
 
विकास और विशाल उत्तरप्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव की पुत्री भारती से कटारा के प्रेम संबंधों के खिलाफ थे। उच्च न्यायालय ने 2 अप्रैल 2014 को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। अदालत ने कहा था कि विकास, विशाल और सुखदेव ने कटारा की इसलिए हत्या कर दी,क्योंकि भारती और कटारा अलग-अलग जातियों से थे और इस वजह से दोषी उनके प्रेम संबंध के खिलाफ थे। (भाषा)
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