• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Manmohan Singh
Written By
Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 15 सितम्बर 2014 (16:44 IST)

आत्मकथा के बारे में मेरे पिता मनमोहन तय करेंगे : दमन सिंह

आत्मकथा के बारे में मेरे पिता मनमोहन तय करेंगे : दमन सिंह - Manmohan Singh
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री दमन सिंह का कहना है कि उनके पिता आत्मकथा लिखना चाहते हैं या नहीं, इस बारे में फैसला वही करेंगे।
 
दमन ने रविवार शाम अपनी किताब 'स्ट्रिक्टली पर्सनल : मनमोहन एंड गुरशरण' के प्रकाशन से जुड़े एक समारोह में कहा कि इस बारे में मेरे पिता को ही तय करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि उनका लिखना इस बात पर निर्भर होगा कि उन्हें यह कितना रोमांचक लगता है।
 
किताब लिखने के इस कठिन कार्य का आरंभ मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर के 1930 के दशक के शुरुआती दिनों की झलक से होता है और यह सफर वर्ष 2004 तक चलता है। 
 
मनमोहन और गुरशरण अमृतसर, पटियाला, होशियारपुर, चंडीगढ़, ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, न्यूयॉर्क, जिनीवा, मुंबई तथा नई दिल्ली जैसी जगहों पर रहे और इन जगहों पर उनके प्रवास का जिक्र इस किताब में है।
 
इससे पहले 2 उपन्यास लिख चुकीं दमन का कहना है कि 3 लेखकों- विक्रम सेठ, सिल्विया नासर और एमजे अकबर की बायोग्राफीज ने उनमें अपने अभिभावकों के बारे में बेहद स्नेह और ईमानदारी से लिखने का जज्बा पैदा हुआ।
 
दमन ने कहा कि विक्रम सेठ की ‘टू लाइव्स’ बेहद खूबसूरत रचना है जिसका मुझ पर गहरा असर हुआ। गणितज्ञ जॉन नैश पर लिखी सिल्विया नासर की किताब भी दिलचस्प है। तीसरी किताब नेहरूजी पर एमजे अकबर द्वारा लिखी बायोग्राफी है। इसका कोई जवाब नहीं है, क्योंकि यह एक सार्वजनिक हस्ती के निजी जीवन के पन्ने बेहद करीने से पलटती है। 
 
किताब लेखन का विचार दमन सिंह के मन में करीब 5 साल पहले से आकार ले रहा था। लेखन प्रक्रिया के बारे में उन्होंने बताया कि मैं सवालों की सूची बनाती, अपने पिता या मां से समय लेती, उनके घर जाती, बातचीत रिकॉर्ड करती और फिर आकर उसे लिखती।
 
दमन ने कहा कि यह किताब 2 व्यक्तियों के बारे में है। इसमें उनकी सोच, उनकी राय, उनकी आस्थाओं, मूल्यों और आचरण का जिक्र है। इसमें बताया गया है कि कैसे विचार बनते हैं और समय के साथ उनमें कैसे बदलाव आता है।
 
उन्होंने बताया कि किताब में भारत का भी जिक्र है, जो विभाजित तो हुआ लेकिन आखिरकार आजाद हो गया। इसमें बताया गया है कि देश ने आगे बढ़ने के लिए साहस के साथ कैसे संघर्ष किया और किस तरह के उतार-चढ़ावभरे दौर से गुजरा।
 
दमन के अनुसार अर्थव्यवस्था के बारे में लिखते समय उन्हें चुनौती का सामना करना पड़ा। उनसे (मनमोहन सिंह से) आर्थिक मुद्दों पर बात करना मुश्किल था, लेकिन उनके जीवन का बड़ा हिस्सा अर्थव्यवस्था को समर्पित रहा इसलिए मैंने न सिर्फ उनसे इस बारे में बात की बल्कि इसे लिखा भी।
 
उन्होंने कहा कि मैं उन मुद्दों को लेना चाहती थी जिन्हें मैं महत्वपूर्ण समझती थी... उन्हें आम पाठक के लिए सरल भाषा में लिखना चाहती थी और मुझे उम्मीद है कि मैं ऐसा कर पाई।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या इस किताब पर फिल्म बनाई जाएगी? दमन सिंह ने कहा कि मैं नहीं जानती। अगर फिल्म बनेगी तो मैं नहीं देखना चाहूंगी, क्योंकि मैं अपनी किताब को ही पसंद करूंगी। किताब में पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार की तस्वीरें भी हैं। (भाषा)