हरिद्वार। हरिद्वार में हर बार 12 साल बाद कुंभ मेला लगता है, लेकिन इस बार यह मेला 11 साल बाद आयोजित हो रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति आने पर महाकुंभ होता है। हरिद्वार में पिछला कुंभ साल 2010 में आयोजित हुआ था।
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि चूंकि साल 2022 में बृहस्पति कुंभ राशि में नहीं रहेंगे, इस कारण महाकुंभ एक साल पहले ही आयोजित करना पड़ रहा है। इस बार यानी 2021 में यह योग पड़ रहा है। इसी कारण निर्धारित अवधि से एक साल पहले ही यह कुंभ आयोजित किया जा रहा है।
कुंभ की अवधि को लेकर असमंजस : कुंभ मेले को लेकर अब हरिद्वार कुंभ मेला प्रशासन कुंभ निर्माण कार्यों को अंतिम रूप देने में जुटा है। हर की पैड़ी क्षेत्र को भगवा व पीला रंग में रंगने का भी काम किया जा रहा है, सभी पुलों को भी इन्हीं रंगों से रंगा जा रहा है। कोरोना ने इस बार महाकुंभ के स्वरूप को ही बदल दिया। इसी वजह से सरकार महाकुंभ को 48 दिनों में पूरा करना चाहती है।
हालांकि राज्य के पुलिस महानिदेशक ने कुंभ कि अवधि 60 दिन होने कि भी बात कही थी, लेकिन कुंभ होगा कितने दिन का यह तभी तय होगा जबकि इसका नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। राज्य के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के अनुसार कुंभ मेले का नोटिफिकेशन फरवरी अंतिम सप्ताह में जारी किया जाएगा। कुंभ काल को छोटा करने से कुंभ के आयोजन को लेकर अभी सरकार और संतों के बीच आपसी तकरार जारी है।
गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने कुंभ की शुरुआत को मकर संक्रांति पर्व के स्नान से करने की मांग की थी, लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया। उनका कहना है कि जबकि इससे पहले जो भी कुंभ हुए हैं, उनका नोटिफिकेशन अमूमन जनवरी में जारी होता था, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से महाकुंभ के स्वरूप को ही बदल दिया गया है।
कुंभ का काल छोटा करने से व्यापारी भी नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि हरिद्वार में हर बार जनवरी महीने से कुंभ मेले का नोटिफिकेशन जारी किया जाता रहा है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा नोटिफिकेशन ना जारी करने से विदेशी श्रद्धालु असमंजस में हैं। व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने अखाड़ा परिषद गंगा सभा और संत समाज से आवाहन करते हैं कहा कि वो खामोश रहकर सरकार के फैसले का समर्थन न करें। व्यापारियों ने ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से मांग की है कि भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार जनवरी से ही कुंभ को शुरू करने की अनुमति दें।
क्या कहते हैं अखाड़ा परिषद के महामंत्री : हालांकि अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि महाराज कुंभ का स्वरूप छोटा होने की वजह कोरोना को मानते हुए कहते हैं कि कुंभ के दौरान कोरोना की वजह से एक भी व्यक्ति की जान गई तो पूरी सरकार और कुंभ मेला बदनाम हो जाएगा।
हरिद्वार में कुंभ मेले के लिए पूरी कुंभनगरी का कायाकल्प किया जा रहा है। कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत के अनुसार कुंभनगरी में निर्माणाधीन सड़कें, अन्य रास्ते, पुल व फ्लाई ओवर के कामों पूरा करने की तिथि अब 31 जनवरी कर दी गई है। मेला स्थल और नहर पटरी मार्ग को सूबसूरत बनाया जा रहा है। पुल, पुलिया और घाटों के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। अखाड़ा परिषद कुंभ और महामंडलेश्वर नगर बसाने की मांग कर रहा है, लेकिन कोविड को देखते हुए इस पर अभी मेला प्रशासन ने अंतिम निर्णय नहीं लिया है। सभी 13 अखाड़ों ने कुंभ को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
राज्य सरकार महाकुंभ से पहले अखाड़ों को अपने संसाधन तैयार करने को एक-एक करोड़ रुपए दे चुकी है। यह राशि सरकार द्वारा गठित कमेटी की निगरानी में खर्च की जा रही है। अखाड़ों को मिली इस राशि से संतों के ठहरने, भोजन भंडार आदि का निर्माण में होना है। सभी 13 अखाड़ों ने कुंभ को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
हरिद्वार कुंभ मेला के लिए 10 जनवरी से 30 अप्रैल तक हरिद्वार ऋषिकेश स्टेशन को कुंभ मेला स्टेशन घोषित कर दिया गया है।
भारतीय रेलवे चलाएगा स्पेशल ट्रेन : भारतीय रेलवे भी कुंभ के लिए 35 स्पेशल ट्रेन चलाएगा भीड़ कंट्रोल करने के लिए रेलवे स्टेशन पर मेला कंट्रोल सिस्टम भी तैयार किया गया है। कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पहली बार प्राकृतिक घाटों को तैयार किया जा रहा है, ताकि स्नान के वक्त श्रद्धालुओं से सोशल डिस्टेंस का पालन करवाया जा सके। प्लास्टिक से तैयार इन घाटों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए डीप वाटर बेरीकेडिंग की जा रही है।
महाकुंभ 2021 के लिए वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 375 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। प्रदेश सरकार भव्य और ग्रीन कुंभ परिकल्पना के आधार पर आयोजित करने का प्लान बना रही थी। उत्तराखंड सरकार ने बजट में 1205 करोड़ रुपए खर्च करना तय किया था। महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 450 करोड़ के स्थायी और एक हजार रुपए के अस्थायी कार्य किए जाने का प्रस्ताव था, लेकिन केन्द्र द्वारा आवंटित धनराशि पर्याप्त न होने से कई योजनाओं में कटौती भी करनी पड़ी है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुंभ बजट को लेकर मौन उपवास भी किया था, उनका कहना था कि उज्जैन और प्रयागराज में हुए कुंभ के आधार पर यहां के कुंभ को राशि केन्द्र द्वारा आवंटित करनी चाहिए थी। आइटीडीए (इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट अथॉरिटी) देहरादून की ओर से हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र में 500 से अधिक सर्विलांस कैमरे लगे हैं। इसमें हरिद्वार के साथ ही ऋषिकेश और मुनिकीरेती का इलाका भी शामिल है। इसके लिए हरिद्वार में विशेष कंट्रोल रूम तैयार किया गया है।
देहरादून स्थित आईटीडीए कार्यालय में भी विशेष कंट्रोल रूम तैयार कर इन सर्विलांस कैमरों से मॉनिटरिंग होगी। कोशिश यह है कि हरिद्वार कुंभ को सुरक्षित बनाया जा सके। इसके अलावा भीड़ में कुछ वांछित चेहरों को पहचानने की प्रणाली भी कुंभ क्षेत्र में लगाई जा रही हैं ताकि किसी भी अवांछित तत्व के इस क्षेत्र में घुसते ही उसकी धरपकड़ की जा सके।
तीन डुबकियां लगाने की ही होगी अनुमति : श्रद्धालु हर की पौड़ी और आसपास के तमाम घाटों में सिर्फ तीन ही डुबकी लगा सकेंगे। इसको लेकर कुंभ मेला पुलिस द्वारा व्यवस्थाएं की जा रही हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर ऐसा निर्णय कुंभ मेला पुलिस ने लिया है। क्योंकि कुंभ के दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं और गंगा घाटों में भीड़ लग जाती है। इसी को देखते हुए मेला पुलिस इस तरह की तैयारी कर रही है।
धर्मनगरी हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु हर की पौड़ी और उसके आसपास के घाटों पर ही स्नान करना चाहते हैं, लेकिन कुंभ के स्नान पर्व पर भारी भीड़ होने के कारण काफी श्रद्धालु इन घाटों पर स्नान नहीं कर पाते हैं। इसी को देखते हुए कुंभ मेला पुलिस द्वारा व्यवस्था की जा रही है कि कोई भी श्रद्धालु तीन डुबकी से ऊपर न लगाए। शास्त्रों में भी गंगा और पवित्र नदियों में तीन डुबकी का ही वर्णन आता है। कहा जाता है कि गंगा और पवित्र नदियों में तीन डुबकी लगाने से ब्रह्मा, विष्णु, महेश की प्राप्ति होती है ।