कैसे बना गुरमीत राम रहीम का काला साम्राज्य, पढ़िए
नई दिल्ली। बलात्कार मामले में जेल की सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम इंसा पर लिखी गई एक नई किताब बाजार में आ रही है। कृषि परिवार से ताल्लुक रखनेवाले इंसा जेल जाने से पहले एक धार्मिक पंथ का प्रमुख था। कभी अपने रौबदार जीवनशैली के लिए जाने जाने वाले गुरमीत को उसके लाखों भक्त भगवान मानते रहे हैं। लाखों भक्तों के अलावा उसके काफी मजबूत राजनीतिक संपर्क भी थे।
अब गुरमीत को रोहतक जेल में उनके साथी ‘कैदी’ संख्या 1997 के नाम से जानते हैं। इस किताब को अनुराग त्रिपाठी ने लिखा है। इसका नाम ‘डेरा सच्चा सौदा एंड गुरमीत राम रहीम : ए डिकेड लॉन्ग इन्वेशटिगेशन ’ है। इस किताब में साल 2007 से गुरमीत के नेतृत्व वाले डेरा सच्चा सौदा में शुरू हुई आपराधिक गतिविधियों के संबंध में त्रिपाठी द्वारा की गई खोजी पत्रकारिता की कहानी है।
गुरमीत के उभार की कहानी में कथित तौर पर हत्याएं, यौन उत्पीड़न, निजी सेना, हथियार और अफीम का अवैध कारोबार और जमीन हड़पने के मामले शामिल हैं। इस किताब को ‘पेंग्विन’ ने प्रकाशित किया है। त्रिपाठी ने इस किताब में तर्क के साथ बताया है कि डेरा के पहले दो प्रमुखों से गुरमीत का दर्शन मेल नहीं खाता क्योंकि यह अध्यात्म से कोसों दूर था। यह खुद को शक्तिशाली बनाने पर केंद्रित था।
त्रिपाठी ने बताया कि गुरमीत ने अपना एक अलग साम्राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से धन इकट्ठा करने के लिए अपने श्रद्धालुओं के मन-मस्तिष्क को चालाकी से बहलाना-फुसलाना शुरू किया। उन्होंने कहा कि गुरमीत ने अपने भक्तों को यह कहना शुरू किया कि अगर वह परमसत्ता से सीधे तौर पर जुड़ना चाहते हैं तो उन्हें अपने दुनियावी संपत्तियों को डेरा को देना होगा, इसमें अपनी जमीनों को दान में देना भी शामिल था।
कई भक्तों ने इस चक्कर में आकर अपनी संपत्तियां डेरा को दे दी। लेखक ने बताया कि वहीं डेरा ने इन जमीनों को ऊंचे दामों में बेचकर जो पैसे हासिल किए उससे सिरसा में और अधिक जमीनें खरीदी। जैसे-जैसे गुरमीत की संपत्ति बढ़ती गई उसने अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए एक निजी सेना बनाने पर गौर किया।
किताब में बताया गया है कि साल 2000 की शुरुआत में डेरा प्रमुख ने इस विचार को सेना के उन दिग्गजों के साथ साझा किया, जो डेरा के भक्त थे। इस संबंध में ब्लूप्रिंट तैयार किया गया और इस उद्देश्य से भर्तियां शुरू की गई। किताब में बताया गया है कि डेरा मिलिशिया में तीन विंग थे।
आंतरिक विंग का काम गुरमीत को काफी नजदीक से सुरक्षा देना था। इस विंग की जिम्मेदारी थी कि वह संकट के समय घटनास्थल से गुरमीत को बाहर निकाले, ‘वहीं संकट के समय डेरा प्रमुख को सुरक्षित शिविर में स्थानांतरित करने के बाद सुरक्षा का बाहरी घेरा बनाना दूसरे विंग का काम था। वहीं तीसरे विंग का काम डेरा के सभी जगहों पर नजर रखना और संकट के समय किसी को भी डेरा में प्रवेश देने से रोकना था।’