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Last Updated : शनिवार, 7 जनवरी 2023 (12:25 IST)

डिजिटल मीडिया ने भारतीय भाषाओं को बनाया वैश्विक भाषा : प्रो. द्विवेदी

आईआईएमसी, अमरावती कैंपस में 'मराठी पत्रकारिता दिवस' का आयोजन

sanjay diwvedi
अमरावती, 'मराठी पत्रकारिता दिवस' के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान, अमरावती द्वारा आयोजित 'संपादक संवाद' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि डिजिटल मीडिया ने भाषाई पत्रकारिता को वैश्विक बना दिया है। क्षेत्रीय पत्रकारिता का भविष्य न सिर्फ उज्ज्वल है, बल्कि नई तकनीक के साथ पत्रकारिता के नए स्वर्णिम काल की ओर अग्रसर है।

इस अवसर पर 'दैनिक तरुण भारत' के मुख्य संपादक गजानन निमदेव, 'दैनिक लोकमत' के कार्यकारी संपादक श्रीमंत माने, संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय में मराठी-हिंदी भाषा विभाग की अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) मोना चिमोटे एवं आईआईएमसी, अमरावती कैंपस के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. (डॉ.) वीरेंद्र कुमार भारती भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भाषाई पत्रकारिता से क्षेत्रीय और आंचलिक स्तर पर लोकतंत्र के विशाल वटवृक्ष को फलने-फूलने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती आई है। भारत जैसे सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषी देश में तो यह योगदान और भी मायने रखता है, जहां पत्रकारिता स्थानीय भाषा अपनाकर स्थानीय जन और स्थानीय समाज का स्वर बनकर लोकतंत्र को मजबूत बना रही है। मराठी पत्रकारिता इसका अनुपम उदाहरण है।

आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार मराठी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता के बाद ही नहीं, बल्कि देश को स्वतंत्रता मिलने के दशकों पहले से ही समाज निर्माण का काम करना शुरू कर दिया था। भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाने में मराठी पत्रकारिता का अविस्मरणीय योगदान है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती में मीडिया का योगदान सर्वाधिक है। मीडिया के बिना किसी समाज की कल्पना नहीं की जा सकती।
sanjay diwvedi
पत्रकारिता के विद्यार्थियों को संवदेनशीलता का पाठ पढ़ाना जरूरी : निमदेव
'मराठी पत्रकारिता के बदलते स्वरूप' विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए 'दैनिक तरुण भारत' के मुख्य संपादक गजानन निमदेव ने कहा कि समय के अनुसार मराठी पत्रकारिता का स्वरूप बदलता रहा है। शुरुआत में मराठी पत्रकारिता का उद्देश्य प्रबोधन हुआ करता था। वर्ष 1947 के बाद मराठी पत्रकारिता ही नहीं, बल्कि अन्य सभी भाषाई पत्रकारिता का उद्देश्य सामाजिक सुधार और देश का विकास करना था।

उन्होंने कहा कि पहले पत्रकारिता में प्रबोधन को महत्व हुआ करता था। अब आज के विषय पूरी तरह से अलग हो गए हैं। साथ ही पत्रकारिता में संवदेनशीलता कम होती जा रही है। यही वजह है कि आज समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। पत्रकारिता के विद्यार्थियों को संवदेनशीलता का पाठ पढ़ाना जरूरी है। युवा पत्रकारों को समाज में जाकर जनमत को टटोलना चाहिए, उसके बाद लेखन करना चाहिए।

फेक न्यूज आज की सबसे बड़ी चुनौती : माने
'दैनिक लोकमत' के कार्यकारी संपादक श्रीमंत माने ने कहा कि मराठी पत्रकारिता के साथ ही सभी भाषाई समाचार पत्रों और पत्रकारिता के समाने अलग-अलग चुनौतियां रही हैं। इस समय फेक न्यूज बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिससे निपटना बेहद जरूरी है। पत्रकारों के सामने असल चुनौती पाठकों के विश्वास को बरकरार रखने की है। इसके लिए जरूरी है कि उन लोगों की आवाज बनें, जो अपनी आवाज को उठा नहीं सकते।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने यही काम किया है। वह समाज को जागृत करने के साथ ही समाज की आवाज बनी। इसके लिए युवा पत्रकारों को सामान्य लोगों के बीच जाकर उनकी व्यथा को जानना जरूरी है। इसके साथ ही युवाओं को अध्ययन, वाचन करना चाहिए, तभी वे अच्छा लेखन कर सकेंगे।

मातृभाषा के महत्व को पहचाने विद्यार्थी : प्रो. चिमोटे
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय में मराठी-हिंदी भाषा विभाग की अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) मोना चिमोटे ने कहा कि मराठी पत्रकारिता के आद्य पत्रकार बालशास्त्री जांभेकर ने समाज को जागृत करने के साथ ही प्रबुद्ध बनाने का कार्य किया। विद्यार्थियों को भी चाहिए कि वे अपनी मातृभाषा के महत्व को पहचाने।

जनता और सरकार के बीच सेतु का कार्य करता है मीडिया : प्रो. भारती
अध्यक्षीय भाषण में आईआईएमसी के अमरावती परिसर के निदेशक प्रो. (डॉ.) वीरेंद्र कुमार भारती ने कहा कि समाचार पत्र किसी देश की उन्नति के मूल में हैं। मीडिया बदलाव एवं चेतना का वाहक रहा है। किसी विषय पर जागरुक करने एवं जनमत तैयार करने में भी मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। मीडिया जनता और सरकार के बीच सेतु का कार्य करता है।

इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा हिंदी, अंग्रेजी व मराठी भाषा में तैयार किए गए लैब जर्नल का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. विनोद निताले ने रखी, मंच संचालन प्रो. अनिल जाधव ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ. राजेश सिंह कुशवाहा ने किया।
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