उपभोक्ता संरक्षण विधेयक से भ्रामक विज्ञापनों पर लगेगी रोक
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी। सूत्रों ने कहा कि इस विधेयक का मकसद उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए प्राधिकरण का गठन करना है। साथ ही इसमें भ्रामक विज्ञापनों से निपटने का भी प्रावधान होगा। इसमें यह व्यवस्था भी होगी कि यदि कोई ख्यातिप्राप्त व्यक्ति गुमराह करने वाला विज्ञापन करता है तो उस पर रोक लगाई जा सकेगी। केन्द्र ने अगस्त, 2015 में लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पेश किया था। इसे 30 साल पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 के स्थान पर लाया गया था।
संसद की स्थाई समिति ने भी पिछले साल अप्रैल में इस बारे में अपनी सिफारिशें दी थीं। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय अब एक नया विधेयक लेकर आया है क्योंकि 2015 में पेश विधेयक में कई संशोधन करने होंगे। सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2017 को लाने की मंजूरी दे दी है। इससे 2015 का विधेयक वापस लेने का रास्ता साफ हो गया।
सूत्रों ने कहा कि नए विधेयक में मौजूदा कानून का दायरा बढ़ाने का प्रावधान है जिससे इससे अधिक प्रभावी और उद्देश्यपूर्ण बनाया जा सकेगा। इसमें केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के गठन का भी प्रावधान है, जिससे उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण को लागू किया जा सके।
इसमें ख्यातिप्राप्त व्यक्तियों द्वारा भ्रामक विज्ञापन करने पर प्रतिबंध लगाने का भी प्रावधान है। विधेयक में इसके अलावा मुकदमेबाजी के बाद के चरण के लिए मध्यस्थता का भी प्रावधान होगा। यह वैकल्पिक विवाद निपटान व्यवस्था का काम करेगा। विधेयक में उत्पाद दायित्व कार्रवाई का भी प्रावधान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कहा था कि उपभोक्ता संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा था, हम उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए नया कानून लाने की प्रक्रिया में हैं। यह कानून देश की जरूरतों और यहां प्रचलित कारोबार व्यवहार को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। (भाषा)