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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: श्रीनगर , शनिवार, 21 नवंबर 2015 (20:49 IST)

कर्नल संतोष को मारने वाले आतंकी हाथ नहीं आए

Colonel Santosh Mahadik
श्रीनगर। आठ दिन हो गए हैं सेना और अन्य सुरक्षाबलों के आठ हजार से अधिक जवान कुपवाड़ा के जंगलों की खाक छान रहे हैं। उनकी मदद को दर्जनों लड़ाकू हेलिकाप्टर और यूएवी भी जुटे हैं। सैकड़ों पैरा कमांडो भी मुश्की कुत्तों के साथ इस कार्रवाई में जुटे हैं। इन सबका मकसद उन चार से पांच आतंकियों को ढूंढ निकालना है जिन्होंने मंगलवार को हमले के दौरान सेना की 41वीं राष्ट्रीय रायफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष   महाडिक को मार डाला था।
फिलहाल इन आतंकियों में से एक भी जिंदा या मुर्दा हाथ नहीं आया है, न ही कोई हथियार या निशान मिला जिससे मालूम हो कि उनकी स्थिति क्या है। वे कितनी संख्या में थे इसके प्रति भी कोई सुनिश्चित तौर पर कहने को तैयार नहीं है। दरअसल 8 दिनों के दौरान इन आतंकियों के दल ने वाकी टाकी, मोबाइल और सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल बंद कर दिया था।
 
अधिकारियों ने अब इसे माना है कि कश्मीर में आतंकियों का दल सुरक्षाबलों को फिर चकमा दे गया है। कुपवाड़ा के जंगलों में आठ दिन से आतंकियों का पीछा कर रहे सुरक्षाबलों को छकाकर तीसरी बार दल बचकर भाग निकला। सेना ने ऑपरेशन में कमांडो तथा हेलिकाप्टर भी लगाए गए, फिर भी आतंकी हाथ नहीं आए। यह वही दल है, जिसके साथ मुठभेड़ में मंगलवार को कर्नल संतोष महाडिक शहीद हो गए थे और पांच जवान घायल हो गए थे।
 
सेना सूत्रों के अनुसार सूचना मिली थी कि लश्कर आतंकियों का दल घुसपैठ करके जंगल में छिपा हुआ है। बीते शुक्रवार को जंगल में ऑपरेशन शुरू किया गया था। मुठभेड़ में दो जवानों को घायल करके आतंकी भाग निकले थे। दूसरी बार आतंकियों को मनीगाह जंगल में घेरा गया। दो दिन के ऑपरेशन में कर्नल शहीद हुए, तीन अन्य जवान घायल हुए और आतंकी फिर भाग निकले। उसके दूसरे दिन फिर आतंकियों को घेरा गया। दोनों तरफ से कुछ देर फायरिंग के बाद आतंकी फिर भाग गए। इस शुक्रवार को इन आतंकियों की तलाश में पूरे जंगल को खंगाल लिया गया, लेकिन उनका पता नहीं चला है।
 
वैसे कश्मीर में यह कोई पहला मौका नहीं था कि आतंकियों ने सेना के हजारों जवानों को इस तरह से छकाया हो बल्कि 26 साल के आतंकवाद के इतिहास में दर्जनों बार आतंकी सुरक्षाबलों को धोखा देकर बचकर भाग निकलने में कामयाब हुए हैं। ऐसे अभियानों में तीन सबसे प्रसिद्ध थे जिसमें एक नहीं, दो नहीं बल्कि 20 से 30 दिनों तक कुछेक मुट्ठीभर आतंकियों ने हजारों सुरक्षाबलों को छकाया था।
 
इनमें एक कश्मीर के रफियाबाद में चला 18 दिनों का छापामारी अभियान, राजौरी के भट्टीधार में 20 दिनों तक चला ऑपरेशन और कठुआ के घाटी इलाके में चलने वाला अभियान भी था जो एक माह तक चलता रहा था और हजारों सुरक्षाबलों को कोई भी आतंकी पकड़ने या उसे मारने में कामयाबी नहीं मिली थी।