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Last Modified: गुरुवार, 24 नवंबर 2022 (23:16 IST)

नोट की पूरी सीरीज बंद करने को अलग कानून की होती है जरूरत, नोटबंदी पर SC में सुनवाई के दौरान बोले चिदंबरम

नोट की पूरी सीरीज बंद करने को अलग कानून की होती है जरूरत, नोटबंदी पर SC में सुनवाई के दौरान बोले चिदंबरम - Chidambaram made this statement during the hearing in the Supreme Court on demonetisation
नई दिल्ली। वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट बंद करने के फैसले को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताते हुए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि केंद्र सरकार वैध नोट से संबंधित कोई भी प्रस्ताव खुद से नहीं कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा केवल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही किया जा सकता है।

केंद्र के 2016 के फैसले का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक चिदंबरम ने न्यायमूर्ति एसए नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्‍यीय संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि बैंक नोट के मुद्दे को विनियमित करने का अधिकार पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक के पास है।

उन्होंने कहा, केंद्र सरकार अपने आप मुद्रा नोटों से संबंधित कोई प्रस्ताव शुरू नहीं कर सकती है। यह केवल केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ही हो सकता है। इस निर्णय प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाना चाहिए। चिदंबरम ने पीठ से कहा, यह निर्णय लेने की सबसे अपमानजनक प्रक्रिया है जो कानून के शासन का मखौल उड़ाती है। इस प्रक्रिया को गंभीर रूप से दोषपूर्ण होने के कारण खत्म कर दिया जाना चाहिए।

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल थे। चिदंबरम ने आरोप लगाया कि नोटबंदी के संभावित भयानक परिणामों का आकलन, शोध या दस्तावेजीकरण नहीं किया गया था।

उन्होंने कहा, 2,300 करोड़ से अधिक मुद्रा नोट बंद किए गए थे, जबकि सरकार के मुद्रणालय प्रति माह केवल 300 करोड़ नोट ही छाप सकते थे। इस प्रकार इस असंतुलन का मतलब था कि नोट छापने में कई महीने लगेंगे।

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री ने सरकार द्वारा आठ नवंबर, 2016 को जारी अधिसूचना का उल्लेख करते हुए कहा कि नोटबंदी के माध्यम से जिन तीन उद्देश्यों को हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था, वे नकली मुद्रा, कालेधन और आतंकवाद को नियंत्रित करना था।

चिदंबरम ने कहा, इनमें से कोई भी उद्देश्य हासिल नहीं किया जा सका। वर्ष 2016-17 के लिए आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 15.31 लाख करोड़ रुपए के मुद्रा विनिमय में केवल 43 करोड़ रुपए के मूल्य की नकली मुद्रा का पता चला था। लौटाई और बदली गई मुद्रा की तुलना में जाली मुद्रा 0.0028 प्रतिशत रही है, फिर यह उद्देश्य कैसे प्राप्त किया जा सका है?

केंद्र ने हाल ही में एक हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया था कि नोटबंदी की कवायद एक सुविचारित निर्णय था और नकली धन, आतंकवाद के वित्त पोषण, कालेधन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा था।

500 रुपए और 1000 रुपए मूल्यवर्ग के नोट के विमुद्रीकरण के अपने फैसले का बचाव करते हुए केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक के साथ व्यापक परामर्श के बाद उठाया गया था और नोटबंदी लागू करने से पहले अग्रिम तैयारी की गई थी।

चिदंबरम ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि नोटबंदी के बावजूद नशीले पदार्थों का बड़े पैमाने पर कारोबार हो रहा है और यहां तक ​​कि मंत्रियों ने भी कहा है कि पंजाब नशीले पदार्थों की तस्करी का जरिया बनता जा रहा है।

उन्होंने कहा, यह भी सामान्य ज्ञान है कि आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है। पिछले हफ्ते ही आतंकवाद पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था और गृहमंत्री ने कहा था कि हमें आतंकवाद के वित्त पोषण से निपटने के लिए एक अलग एजेंसी का गठन करना चाहिए। न्यायमूर्ति नज़ीर ने कहा, अब क्या किया जा सकता है? यह अब समाप्त हो गया है। पहले बिंदु पर हम विचार करेंगे।

चिदंबरम ने जवाब दिया कि अगर शीर्ष अदालत यह मानती है कि नोटबंदी की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी, तो यह काफी अच्छा होगा और सरकार भविष्य में इस तरह के 'दुस्साहस' में शामिल नहीं होगी। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह जारी रहेगी। न्यायालय केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ कम से कम 58 याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था। (भाषा)
Edited by : Chetan Gour
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